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Showing posts from August, 2016

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जो कुछ मिला है अबतक मंजूर जिन्दगी आती है कभी पास कभी दूर जिन्दगी रोते हैं लोग कितने कोशिश किए बिना मानो यकीन उनकी नासूर जिन्दगी लगता है कुछ की खातिर अभिमान जिन्दगी देते हैं कुछ तो मुफ्त में ही जान जिन्दगी जीवन के फलसफे से है सीखना जिसे उसके लिए तो सचमुच अभियान ज़िन्दगी कर लो विचार गौर से है जोश जिन्दगी लेकिन कई तो जीते बेहोश जिन्दगी लेखन तभी सफल जो बेहोश जग सकें जी ले सम्भल के यारों है होश जिन्दगी है आसमाँ खुला और संसार जिन्दगी फिर भी कई क्यों जीते लाचार जिन्दगी दहशत कहीं पे यारों नफरत के बीज भी लेकिन "सोनू" की खातिर है प्यार जिन्दगी

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ये मुझ से सख़्त-जाँ पर शौक़ ख़ंजर आज़माई का  ख़ुदा-हाफ़िज़ मेंरे क़ातिल तेरी नाज़ुक कलाई का वो क्या सोएँगे ग़ाफ़िल हो के शब भर मेरे पहलू में  उन्हें ये फ़िक्ऱ है निकले कोई पहलू लड़ाई का ...

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ग़ज़ल _____ मिलने जो हमसे आए वो नफ़रत के बावजूद हम भी थे मुस्कुराए अदावत के बावजूद ये भी है नौजवानों में अवसाद की वजह मिलता न रोज़गार लियाकत के बावजूद लगतीं क़दम क़दम पे ज़माने की ठोकरें ज़िन्दा है वो गरीब जलालत के बावजूद तहज़ीब-ए-दौर-ए-नौ का तकाजा यही कहे चुप बैठिये न आप शराफ़त के बावजूद आँच आएगी न फिर कभी रिश्तों के बुर्ज़ पर मत दीजिये उधार ज़मानत के बावजूद तूने किया जो गर किसी मज़लूम पर सितम तड़पेगी तेरी रूह फ़राग़त के बावजूद दरवेश मेरे दर से दुखी लौटता नहीं भरता हूँ उसकी झोली मैं क़िल्लत के बावजूद दस्तूर दफ़्तरों का यही बन गया 'सोनू' थोड़ा ही काम होता है रिश्वत के बावजूद

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किसी भी झूठ को गाना हमें बिलकुल नहीं आता । सुबह को शाम बतलाना हमें बिलकुल नहीं आता । जहाँ पर अजनबी होंगे वहाँ पर हम नहीं होंगे । पराये ढँग अपनाना हमें बिलकुल नहीं आता । करेंगे प्यार भी तुमसे, रखेंगे फ़ासले भी हम । गले का हार बन जाना हमें बिलकुल नहीं आता । भले कितना गरल पी लें नहीं होंगे विषैले हम । ज़ुबाँ से आग बरसाना हमें बिलकुल नहीं आता । अगरबत्ती उदासी की महकती है हमेशा से । ख़ुशी के फूल बिखराना हमें बिलकुल नहीं आता । अकेले थे , अकेले हैं , अकेले ही रहेंगे हम । किसी के साथ हो जाना हमें बिलकुल नहीं आता । अगर विश्वास ना हो तो कभी भी आज़मा लेना । किसी का प्यार ठुकराना हमें बिलकुल नहीं आता ।

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जहाँ खड़े हो वहीँ तुम्हारी गरिमामय चर्चाये हो, बोलो ऐसे बोल कि जैसे गुंजित वेद ऋचाये हो, ऐसी भाषा लिखो कि पौरुष शब्द-शब्द परिलक्षित हो, अक्षर-अक्षर में वीरो की बस गौरव गाथाए हो ।

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थोड़ा सा बता के कहता हूँ , थोड़ा सा छुपा के कहता हूँ।। ज़िन्दगी में गम दिए हैं बहुत , ये बात मुस्कुरा के कहता हूँ।। रहनुमाओ ने भी रस्ते गलत बता दिए , जो अपने थे ज़िन्दगी में उन्ही ने सता दिए। बिस्तर में थे जब था कोई ना आया , हम जब बिस्तर से उठे तो लाख दुआ दिए।। माँ ने कहा कुछ करना ज़रूरी हैं , बुज़ुर्गो ने कहा डरना ज़रूरी हैं।। पर ईमानदारी की बातो में हमने सब भुला दिए।। गुमनाम हमको कर वो चले गए बिना पता दिए।। इसलिए कुछ बता दिए और कुछ छुपा लिए।।।।

अब साथ में अपने चलने दो,...

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एक ही मंजिल तक जाना हम दोनों को। मुझको भी अब साथ में अपने चलने दो, थाम लो अपने हाँथों में तुम हाँथ मेरा जलती है गर दुनियाँ उसको जलने दो।

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जाना था हमसे दूर क्यों इलज़ाम लगा दिया है , उलफ़त का उसूल नही, तुमने जो इनाम दिया है । भुला ना पाओगी दास्तान ए उलफ़त के आगाज़ को , अश्को के सैलाब मे बह जायेगा जो अंजाम दिया है । मेरी कोई खता बता , खता हो तो खतावार हूँ , उलफ़त ए दिल के हसीं पैगाम का तलबगार हूँ । दूरियां बना कर तुमको कहां इतमीनान होगा , दर्द ए हयात को हमेशा के लिये गम दिया है । " सोनू " रब्ब की इनायत हो उनके दिल को सब्र हो , शब ए गम मे तसव्वुर ने खुश्क आंखों को नम किया है ।

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ज़माने में कभी तेरी भी तो पहचान हो जाये, समझदारी इसी में है कि तू इंसान हो जाये। मुहब्बत है बड़ी ज़ालिम अदाएँ भी ज़रा कातिल, वफ़ा की बात पर तू भी न बेईमान हो जाये। गिराया था सरेमहफ़िल शरीफों की शराफत ने बसा ले तू निगाहों में तेरा एहसान हो जाये। दबी दिल में हज़ारों खाहिशें कब तक रहेंगी यूँ, तिरी चाहत मिले पूरा हर इक अरमान हो जाये। लबों पर हैं रही अक्सर दुआ तेरे लिए हमदम, खुदा की बंदगी से ये सफर आसान हो जाये।

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हमारी मोहब्बत दुनिया में इस तरहा मशहूर न कर सुन लेगा जमाना अपनी आवाज़ ए मंसूर न कर चश्म ए तसादूम जारी रखना जिगर की बात है हमसे अपना इजहार ए मोहब्बत तू मस्तूर न कर शौरीदगी यूँ काम न आयेगी तेरी मोहब्बत में ऐसे बेशक हमा हमी कर हमसे तू मगर मामूर न कर एक बोसा मांगा था कि दौलत ए हुस्न मांगा था ये अपना मुद्दआ है अग़्यार का तो मंजूर न कर पी चुका हूँ पहले से ही ख़ुम ए मय बहुत जियादा हुस्न वाले आँखो से पिला कर और मख़मूर न कर हमको खटकता है अग्यार हम-नशी पहलू में तिरे तू पास आ रह मुझे तू आँखो से मुझे दूर न कर बडी जहमत से भरे है मेंरे दिल ए ज़ार के जख़्म यूँ कुरेद कर ऐसे मिरे अंदमिलो को तू नासूर न कर मुख़्तर सी बात का यूँ फसाना बनाना ठीक नहीं छोटी सी अर्ज ए तमन्ना को ज़र्रे से तूर न कर

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ताजमहल की बात करो न हमसे तुम ! ये घर भी तुमसे , ताज़ दिखाई देता है ..... हमने तारे गिन - गिन , रातें काटी हैं ! चाँद सा चेहरा , आज दिखाई देता है .....

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प्यार  💕  बन कर ... तुम जो ... बरसीं थी कभी ... वो सावन ... याद सनम, बहुत आता है ... कि घनघोर घटा, जब ... अम्बर को अपने ... आगोश में कोई ... ले लेती है ... तो बाँहों में मेरी ... वो मचलना तेरा ... याद सनम, बहुत आता है ...

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चाहे अर्जी मेरी चाहत की तू मंजूर न कर रूठ जायें हमें इतना कभी मजबूर न कर थक गये हम तो बहुत बार ये समझा के तुझे आइने दिल कभी मगरूर से तू चूर न कर आदमी कुछ भी नहीं है तेरी रहमत के बिना माफ कर दे इसे इतना कभी मगरूर न कर बात इतनी है मगर उसको ये समझायें कैसे चाँदनी रात दिवाने को तू रंजूर न कर इश्क में तेरे दिवाना हुआ फिरता है जो मर ही जाये उसे इतना कभी मजबूर न कर कौन पाया है समझ इस तेरी चाहत का जुनून ये भी सह लेंगे मुहब्बत मेरी मंजूर न कर

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लता है दिल मे क्यों कर ग़म बेहिसाब कोई वह जानता है जिसका टूटा हो ख्वाब कोई लाकर है मैंने रक्खा ग़ज़लो का ख़जाना है मै किस से कम हूँ आखिर, होगा नवाब कोई

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यही सोचा है अब हमने मुहब्बत छोड़ देंगे हम कि उसकी बेवफाई की शिकायत छोड़ देंगे हम मिले जो प्यार से हमको वो काफी एक क़तरा है बढ़ा दे फासले दिल में वसीयत छोड़ देंगे हम उजाले देने आएंगे गवाही मेरे सजदों की अगर ऐसा न हो पाया इबादत छोड़ देंगे हम बढ़ाई बात जो तुमने बिना ही बात तो सुन लो अभी तक कर रहे थे जो मुरव्वत छोड़ देंगे हम सुना है आजकल नज़दीकियां भातीं नहीं मेरी नहीं कुछ रंज लाना तुम ये कुर्बत छोड़ देंगे हम जहां माँ मेरी रहती है सभी खुशियां वहां रहतीं पड़े माँ के बिना रहना तो जन्नत छोड़ देंगे हम ज़माने को मेरा हंसना कभी भाया नहीं लेकिन ज़माने के लिए क्या अपनी आदत छोड़ देंगे हम यहाँ मतलब से ही सारे खुदा को याद करते हैं यही सब देख कर सोचा अकीदत छोड़ देंगे हम जहां मुंसिफ अमीरों के सभी आदिल अमीरों के किसी ऐसी अदालत की वकालत छोड़ देंगे हम ये माना वहशतें अक्सर ही हमसे जीत जाती हैं मगर डर से क्या बेटी की हिफाज़त छोड़ देंगे हम सफर है हादसों का हादसे होते ही रहते हैं मगर तुम सोचना भी मत कि हिजरत छोड़ देंगे हम

जीने की चाहत नहीं रही....

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अब तो दुआ दवा ओ इनायत नहीं रही रिश्तों की जरा सी भी हिफाजत नहीं रही अपनों के बीच हूँ बुरा शायद मैं इसलिए सच ही कहा है झूठ की आदत नहीं रही भाई के लिए भाई के हाथों में है खंजर ऐसे जहाँ में जीने की चाहत नहीं रही माँ बाप को दो वक्त की रोटी न दे सके इतनी भी यार तुममे शराफत नहीं रही उसने कहा माँ बाप को छोड़ो तो मैं मिलूँ मैंने कहा के तुझसे मोहब्बत नहीं रही

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Hamsafar Hath Liye Hath Me Chalte Rehna, Thokre Kha Ke Bhi Har Bar Sambhalte Rehna, Aap Se Shikwa Nahi Koi Shikayat Bhi Nahi Hamne Seekha Hai Har ek Haal Me Dhalte Rehna, Hath Thama Hai Nibhayenge Har ek Haal Me Hum, Meri Aadat Me Nahi Dost Badalte Rehna, Ja Raha Hun Main Teri Duniya Se Ab Door Kahi Main Chala Jau To Phir Haatho Ko Malte Rehna

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उड़ा भी दो सारी रंजिशें इन हवाओं में दोस्तों छोटी सी जिंदगी है नफ़रत कब तक करोगे घमंड न करना जिन्दगी मे तकदीर बदलती रहती है शीशा वही रहता है बस तस्वीर बदलती रहती है

सजग होते तो बर्बादी नहीं मिलती ।

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अगर आजाद न होते तो आजादी नहीं मिलती, समर्पण भाव न होता तो ये खादी नहीं मिलती, न बंटता देश मजहब,जातियों के नाम पर अपना, अगर थोड़ा सजग होते तो बर्बादी नहीं मिलती ।

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रास्ते खुद ही तबाही के निकाले हम ने , कर दिया दिल किसी पत्थर के हवाले हमने, हाँ मालूम हैं क्या चीज़ हैं मोहब्बत यारो , अपना ही घर जला कर देखें हैं उजाले हमने …

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बच न सका ख़ुदा भी मोहब्बत के तकाज़ों से .! एक मेहबूब की ख़ातिर सारा जहाँ बना डाला ..!!"

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जब चले दो कदम वो साथ मेरे* *तो उनके साथ से प्यार हुआ* *थामा जो प्यार से हाथ मेरा* *तो इस हाथ से प्यार हुआ* *जब पुकारा प्यार से नाम मेरा* *तो अपने ही नाम से प्यार हुआ* *जिस रात में आया ख्वाब उनका* *उस सुहानी रात से प्यार हुआ* *अगर इतना ही ख़ूबसूरत था ये प्यार* *तो क्यों नहीं उन्हें मेरे इस प्यार जे* *अंदाज़ से प्यार हुआ*

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कोई मशगूल अपने में कोई बेजार मिलता है बिना संघर्ष के किसको यहाँ अधिकार मिलता है शुरू हैं जंग जीवन में सभी की कोशिशें अपनी किसी को हार मिलती तो किसी को हार मिलता है कहीं बजती है शहनाई बगल में चीख मिलती है यहाँ अधिकार के बदले हमेशा भीख मिलती है हकीकत से उलट है जिन्दगी का फलसफा यारो ये जीवन पाठशाला है जहाँ नित सीख मिलती है गमों को बाँटने की कोशिशें कर, मातवर बन जा सुनेंगे बात सब तेरी अगर तू नामवर बन जा सभी एक साथ मिलके जी सके दुनिया तभी कायम नहीं मुमकिन हुआ ऐसा तो फिर से जानवर बन जा जो बांटे प्यार दुनिया में उसे ही प्यार मिलता है करे दूजे का जो आदर उसे सत्कार मिलता है जहाँ पत्थर बने भगवान का प्रतिमान पूजित है वहाँ पर ज्ञान से ज्यादा लगे अज्ञान पूजित है कहीं वाणी है गुरुओं की कहीं जीसस कहीं अल्ला मगर वह देश ही बढता जहाँ इन्सान पूजित है//

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क़दम जब चूम ले मंज़िल तो जज़्बा मुस्कुराता है दुआ लेकर चलो माँ की तो रस्ता मुस्कुराता है किया नाराज़ माँ को और बच्चा हँस के ये बोला के ये माँ है मियाँ! इसका तो गुस्सा मुस्कुराता है किताबों से निकलकर तितलियाँ ग़ज़लें सुनाती हैं टिफिन रखती है मेरी माँ तो बस्ता मुस्कुराता है सभी रिश्ते यहाँ बर्बाद हैं मतलब परस्ती से मगर सदियों से माँ-बेटे का रिश्ता मुस्कुराता है सुबह उठते ही जब मैं चूमता हूँ माँ की आँखों को ख़ुदा के साथ उसका हर फरिश्ता मुस्कुराता है मेरी माँ के बिना मेरी सभी ग़ज़लें अधूरी हैं अगर माँ लफ़्ज़ शामिल हो तो किस्सा मुस्कुराता है वो उजला हो के मैला हो या मँहगा हो के सस्ता हो ये माँ का सर है इस पे हर दुपट्टा मुस्कुराता है फरिश्तों ने कहा आमाल का संदूक क्या खोलें दुआ लाया है माँ की, इसका बक्सा मुस्कुराता है...।

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आबाद था, आबाद है, आबाद रहेगा। ये मुल्क तो आज़ाद है, आज़ाद रहेगा। ऐ हिन्दू, मुसलमां, सुनों सिख और ईसाई। हमको जो लड़ायेगा, वो बर्बाद रहेगा। हंसते हुए इस मुल्क पे जां जिसने गंवाई। उन वीर शहीदों का सिला याद रहेगा। हो जाए करम तेरा खुदा, मुल्क पे मेरे। तो मुल्क में हर कोई यहां शाद रहेगा। है कितना हंसीं देखो, तिरंगा ये हमारा। मांगी है दुआ रब से, ये आबाद रहेगा।

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चेहरा तुम्हारा है कितना प्यारा देखे बिना मेरा हो ना गुज़ारा रब ने तुम्हे भी क्या खूब बनाया मेरी नज़र से खुद को देखो तो यारा

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हमने सनम को दिल दिया नज़राना समझकर ज़ालिम ने उसे जलाया परवाना समझकर पहले तो मेरे सामने मुँह खोल के बैठे फिर कर लिया पर्दा मुझे बेगाना समझकर अफ़सोस न कर जानेजां इस दिल को तोड़ कर मैं खुद ही जा रहा हूँ तेरा शहर छोड़कर ख़त लिख रहा हूँ कसमें मोहब्बत को तोड़ कर कागज़ पे आंसुओं की जगह छोड़ छोड़ कर ये ख़त नहीं सदा ये दिल ये दर्द मंद है एक बेवफा का प्यार लिफ़ाफ़े में बंद है ये भी कोई सदा ये दिल ये दर्द मंद है एक प्यार है और वो भी लिफाफे में बंद है एक रोज़ यहीं आओगे वो दिन भी आएगा जा तो रहे हो हमसे हर वादे को तोड़ कर एक और शेर...शेर की नज़ाक़त देखिये लिखने जो बैठा रात तेरे नाम से ग़ज़ल अल्फ़ाज़ सामने थे खड़े थे हाथ जोड़ कर शादी की रश्म करके चला जाऊंगा परदेश कर दूंगा पेश अपना लहू ज़िस्म छोड़ कर////

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कौन आया है यहाँ,कोई न आया होगा मेरा दरवाज़ा हवाओं ने हिलाया होगा मेरी दीवार पे ये जो अक़्स हैं धुंधले धुंधले उसने मेरा नाम लिख लिख के मिटाया होगा

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खुदाया हम भी सुंदर हैं , गुरूर बस आपको आया .... लबों से हमने भी पी है , सुरूर बस आपको आया .... कि सजने और संवरने की जरूरत है नहीं हमको .... निखरने का सलीका तो , हुजूर बस आपको आया ....                                 Dil se..........

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इंसान आजकल का वफादार नहीं है | मिलती उसे सजा जो गुनहगार नहीं है || ये जिंदगी मिली है तुझे चार दिनों की | बेकार जिंदगी है अगर प्यार नहीं है || इंसाफ का जमाना बदल आज गया है | अब झूठ और सच भी चमकदार नहीं है|| अब घर मकान भी ये हवादार बने है | पर आजकल झरोखे हवादार नहीं है || अब "सोनू" कह रहा है जरा देख गुजर के | ये सब है दिखावा कहीं भी प्यार नहीं है ||                        ..........Dil se.....

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ख़ुद न छुपा सके वो अपना चेहरा नक़ाब में; बेवज़ह हमारी आँखों पे इल्ज़ाम लग गया।..                     ....Dil se...

दौर के अब साथ चलना....

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हमें इस दौर के अब साथ चलना खूब आता है बहकने का नहीं है डर संभलना खूब आता है चलाकर देख ले जितनी भी चाहे आंधियाँ मौसम हमें भी रुख हवाओं का बदलना खूब आता है बिछा अब लीजिए काँटे भी चाहे मेरी राहों में हैं हम भी आबे गुल काँटों में खिलना खूब आता है रखो तासीर पानी सी कभी माँ ने सिखाया था हमें हर रंग हर आकार में ढलना खूब आता है बड़े मासूम से हैं हम किसी से कुछ नहीं कहते मगर जो ज़िद पे आ जाएं मचलना खूब आता है//......                         ....Dil se....

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उसके साथ रहते रहते हमे चाहत सी हो गयी है उससे बात करते करते हमे आदत सी हो गयी है एक पल भी न मिले तो न जाने बेचैनी सी रहती है, दोस्ती निभाते निभाते हमे मोहब्बत सी हो गयी है//...                      Dil se.....

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Chaman ko ,gul ko,bulbul ko,Kali ko Kiya hai ham ne kab rusva kisi ko Samajhte ho bura kiyuN har kisi ko Kabhi dekhha hai khud apni kami ko Agar taskeen deti aadmi ko Laga leta gale se zindagi ko Jigar ke zakhm bhar jaate hamaare Tum aate to ghhari ko do ghhari ko Rasaayee hai kahaaN ahele khirad ki Jo chhuu paayeN meri deewaanagi ko Jo darya saathh uske chal raja thha Bujha paaya na uski tishnagi ko Hamesha dil lagi karte rahe ho Samajh paaye kabhi dil ki lagi ko Sonu  ab zindagi ki hai yeh fitrat Yeh rukne hi nahin deti khushi ko//....                            ...Dil se...

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. तौर तरीके इस दुनिया के अपनी समझ के बाहर हैं, हम तो बस समझाते हैं और लोग समझते शायर हैं।...             Dil se..>>

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जख्म देकर भी क्यों पूछते हो हाल मेरा?  बहुत बेखबर सा है तुमसे ही सवाल तेरा!  गूंजती हैं सिसकियाँ ख्वाब़ की सन्नाटों में,  जाम के पैमानों में बिखरा है ख्याल तेरा!..                         ...Dil se..

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बहुत पुरानी ये दास्तां है न जाने कैसे बहल रहे है नही गुज़रती ये रात अपनी वो रास्तों पर टहल रहे है। निगाह मिलते ही क्या हुआ था ज़रा उन्ही से तो पूछ लेते हमारी नींदे भी उड़ चुकी हैं सनम भी करवट बदल चुके हैं। खुली थी ज़ुल्फें उड़ा था ऑचल वो चांद छत पर जो आ गया था बहुत हसीं था वो शब का मंज़र गुलों के दिल भी मचल रहे हैं। छलकती नदियों मे जलता सूरज अजब सी रंगत बिखर गई है फलक पे उड़ते ही जा रहे है ये अब्र जैसे उछल रहे हैं। ख़ुदा नही है कोई जहां मे सभी में कमियां दिखाई देती वही है इंसा जहाॅ मे जिन्दा जो गर्दिशों मे सफल रहे हैं। सुकूं मिलेगा बस अपने घर मे भले महल हो या झोपड़ी हो खुशी कमाई है ज़िन्दगी में नसीहतों पर अमल रहे हैं। नहीं कमाई है पंछियों की मगर परों से ही हौसले हैं कहां-कहां से जुटाते तिनके वो आबोदाना में पल रहे है।। फरिश्ता निकले वो रौशनी के हरेक जर्रा चमक रहा है नज़र मे चमके कभी सितारें वो गीत कैसे बहल रहे है।..                                           ...Dil se....

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दूर दूर रहकर यार मुस्कराकर देखते रहते हो मुझे इंतजार है आकर प्यार से गले कब लगाओगे मुझे इस तरह कातिल निगाहों से यार कत्ल करना अच्छा नहीं इंतजार है पास आकर मधुर गीत प्यार का सुनाओगे मुझे....                              .....Dil se..>>

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किसी की ख़ातिर चैन ओ क़रार खोना कोई सुनेगा तो कहेगा क्या हमारा रातों को उठ उठ के रोना कोई सुनेगा तो कहेगा क्या ज़माना अहद-ए-शबाब का है नए ख्वाबों ख्याल का है ये शब बे दारी और दिन का सोना कोई सुनेगा तो कहेगा क्या भंवर में तुम मुझे छोड़ आये यूँ ही मोहब्बत का राज़ रहता ला के साहिल पे यूँ डुबोना कोई सुनेगा तो कहेगा क्या कहा ये मैंने डरो खुदा से हमारे दिल को दुखा रहे हो तो वो हँस के बोले चुप रहो न कोई सुनेगा तो कहेगा क्या...                     ...Dil se...

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किसी को सब्ज़ बाग़ों के नहीं सपने दिखाता हूँ जो दिल में बात रहती है ज़बां पर वो ही लाता हूँ शरारत पर मेरी उसका भी क्या रद्देअमल होता कभी तन्हाइयों में सोच कर ये मुस्कुराता हूँ नहीं तू तो खयाले अक्स आया बाम पर तेरा निगाहे दीद जानिब घर के जब तेरे उठाता हूँ नहीं कर पाता हूँ इज़्हारे उल्फत जाने क्यों उस से पहुँच कर पास उसके बारहा मैं लौट आता हूँ तसव्वुर उसका अश्कों से ज़रा मेरे नहा तो ले ठहर जा ऐ ग़मे हिजरां अभी तुझको सुलाता हूँ नहीं महदूद रहती आसमां तक ही मेरी पर्वाज़ ख़यालों के समन्दर में भी मैं ग़ोते लगाता हूँ...                        ...Dil se...>>

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उल्फत नहीं की मैने मेरी कुछ खता नहीं हैं आप कौन क्या हैं मुझे कुछ पता नहीं मेरी तरफ जो तीर चलाया बेकार था अभ्यास भी नही है निशाना सधा नहीं परवाने औ शमा की मुहब्बत शदीद है इस आग में अभी तक कोई बचा नहीं बंदूक भाले तीर सभी नन्हे हाथों में मगर मै चाँद पर गया था मुझे कुछ पता नहीं दिन रात सामने मेरे दंगा हुआ मगर ये भी अजीब किस्सा है मैने देखा नहीं महशर में अपनी अपनी पड़ी होगी देखना मैदाने हश्र मे कहीं कोई सगा नहीं...                                    ....Dil se...
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तेरी धड़कन ही ज़िन्दगी का किस्सा है मेरा तू ज़िन्दगी का एक अहम हिस्सा है मेरा मेरी मोहब्बत तुझसे सिर्फ लफ़्ज़ों की नहीं तेरी रूह से रूह तक का रिश्ता है मेरा....                        .....Dil se....
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  Ye mat dekh ke koi gunahgaar kitna hai,, Ye dekh ke wo tere sath wafadaar kitna hai,, Ye Mat soch ke logon se use nafrat kitni hai,, par ye dekho ke use tujhse mohabbat kitni hai,,                                         ....Dil se.....

अपने में कोई बेजार मिलता है

Gaurav kumar >> कोई मशगूल अपने में कोई बेजार मिलता है बिना संघर्ष के किसको यहाँ अधिकार मिलता है शुरू हैं जंग जीवन में सभी की कोशिशें अपनी किसी को हार मिलती तो किसी को हार मिलता है कहीं बजती है शहनाई बगल में चीख मिलती है यहाँ अधिकार के बदले हमेशा भीख मिलती है हकीकत से उलट है जिन्दगी का फलसफा यारो ये जीवन पाठशाला है जहाँ नित सीख मिलती है जो बांटे प्यार दुनिया में उसे ही प्यार मिलता है करे दूजे का जो आदर उसे सत्कार मिलता है बिना कुछ काम के हक मांगते , नारे लगाते क्यों सुमन कर्तव्य अपना कर स्वतः अधिकार मिलता है...........///

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Kuchh Dur Hamare Saath Chalo, Ham Dil Ki Kahani Kah Denge .. Samjhe Na Jise Tum Aankhon Se, Wo Baat Zubani Kah Denge.. Phoolon Si Hothon Par Jab , Ek Shokh-Tabassum Bikhrega .. Dheere Se Tumhare Kaano Mein , Ek Baat Purani Kah Denge... Izhaar-E-Wafa Tum Kya Jaano, Iqraar-E-Wafa Tum Kya Jaano .. Hum Zikra  Karenge Auron Ka , Aur apni kahani kah denge.... Kuchh Dur Hamare Saath Chalo , Ham Dil Ki Kahani Kah Denge .....!!!

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Gaurav Garv:- Mulakaat ka silsila chalta rahega,, Ye mausam bhi badalta rahega,, Ye wada hai apse chahe dur rahen kitna bhi... Hamara ek yaad  apko roj aata rahega......// Gaurav Garv:- Hamse koi khata ho jaye to maaf karna.. kisi din  yaad na kar paye to maaf karna... Dil se to ham apko kabhi bhoolte nahi.. Par ye dil ki dharkan agar ruk jaye to maaf karna...

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Bahut kareeb tha manjar mere,,magar mai bach nikla,,,, Tha aasteen me hi khanjar mere..magar mai bach nikla,,,, Wo AAG jisne mohalla jala diya mera,,,, Wo thi mere hi andar,, magar mai bach niklaa....