अपने में कोई बेजार मिलता है
Gaurav kumar >>
कोई मशगूल अपने में कोई बेजार मिलता है
बिना संघर्ष के किसको यहाँ अधिकार मिलता है
शुरू हैं जंग जीवन में सभी की कोशिशें अपनी
किसी को हार मिलती तो किसी को हार मिलता है
कहीं बजती है शहनाई बगल में चीख मिलती है
यहाँ अधिकार के बदले हमेशा भीख मिलती है
हकीकत से उलट है जिन्दगी का फलसफा यारो
ये जीवन पाठशाला है जहाँ नित सीख मिलती है
जो बांटे प्यार दुनिया में उसे ही प्यार मिलता है
करे दूजे का जो आदर उसे सत्कार मिलता है
बिना कुछ काम के हक मांगते, नारे लगाते क्यों
सुमन कर्तव्य अपना कर स्वतः अधिकार मिलता है...........///
कोई मशगूल अपने में कोई बेजार मिलता है
बिना संघर्ष के किसको यहाँ अधिकार मिलता है
शुरू हैं जंग जीवन में सभी की कोशिशें अपनी
किसी को हार मिलती तो किसी को हार मिलता है
कहीं बजती है शहनाई बगल में चीख मिलती है
यहाँ अधिकार के बदले हमेशा भीख मिलती है
हकीकत से उलट है जिन्दगी का फलसफा यारो
ये जीवन पाठशाला है जहाँ नित सीख मिलती है
जो बांटे प्यार दुनिया में उसे ही प्यार मिलता है
करे दूजे का जो आदर उसे सत्कार मिलता है
बिना कुछ काम के हक मांगते, नारे लगाते क्यों
सुमन कर्तव्य अपना कर स्वतः अधिकार मिलता है...........///
Comments
Post a Comment