Dil se...>>




उल्फत नहीं की मैने मेरी कुछ खता नहीं
हैं आप कौन क्या हैं मुझे कुछ पता नहीं
मेरी तरफ जो तीर चलाया बेकार था
अभ्यास भी नही है निशाना सधा नहीं
परवाने औ शमा की मुहब्बत शदीद है
इस आग में अभी तक कोई बचा नहीं
बंदूक भाले तीर सभी नन्हे हाथों में मगर
मै चाँद पर गया था मुझे कुछ पता नहीं
दिन रात सामने मेरे दंगा हुआ मगर
ये भी अजीब किस्सा है मैने देखा नहीं
महशर में अपनी अपनी पड़ी होगी देखना
मैदाने हश्र मे कहीं कोई सगा नहीं...
                                   ....Dil se...

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