Dil se..>.



ग़ज़ल _____
मिलने जो हमसे आए वो नफ़रत के बावजूद
हम भी थे मुस्कुराए अदावत के बावजूद
ये भी है नौजवानों में अवसाद की वजह
मिलता न रोज़गार लियाकत के बावजूद
लगतीं क़दम क़दम पे ज़माने की ठोकरें
ज़िन्दा है वो गरीब जलालत के बावजूद
तहज़ीब-ए-दौर-ए-नौ का तकाजा यही कहे
चुप बैठिये न आप शराफ़त के बावजूद
आँच आएगी न फिर कभी रिश्तों के बुर्ज़ पर
मत दीजिये उधार ज़मानत के बावजूद
तूने किया जो गर किसी मज़लूम पर सितम
तड़पेगी तेरी रूह फ़राग़त के बावजूद
दरवेश मेरे दर से दुखी लौटता नहीं
भरता हूँ उसकी झोली मैं क़िल्लत के बावजूद
दस्तूर दफ़्तरों का यही बन गया 'सोनू'
थोड़ा ही काम होता है रिश्वत के बावजूद

Comments

Popular posts from this blog

Dil se..>>

Dil se...>>

Childhood v/s young