Dil se..>>



जाना था हमसे दूर क्यों इलज़ाम लगा दिया है ,
उलफ़त का उसूल नही, तुमने जो इनाम दिया है ।
भुला ना पाओगी दास्तान ए उलफ़त के आगाज़ को ,
अश्को के सैलाब मे बह जायेगा जो अंजाम दिया है ।
मेरी कोई खता बता , खता हो तो खतावार हूँ ,
उलफ़त ए दिल के हसीं पैगाम का तलबगार हूँ ।
दूरियां बना कर तुमको कहां इतमीनान होगा ,
दर्द ए हयात को हमेशा के लिये गम दिया है ।
" सोनू " रब्ब की इनायत हो उनके दिल को सब्र हो ,
शब ए गम मे तसव्वुर ने खुश्क आंखों को नम किया है ।

Comments

Popular posts from this blog

Dil se..>>

Dil se...>>

Childhood v/s young