Dil se..>>



हमने सनम को दिल दिया नज़राना समझकर
ज़ालिम ने उसे जलाया परवाना समझकर

पहले तो मेरे सामने मुँह खोल के बैठे
फिर कर लिया पर्दा मुझे बेगाना समझकर

अफ़सोस न कर जानेजां इस दिल को तोड़ कर
मैं खुद ही जा रहा हूँ तेरा शहर छोड़कर

ख़त लिख रहा हूँ कसमें मोहब्बत को तोड़ कर
कागज़ पे आंसुओं की जगह छोड़ छोड़ कर

ये ख़त नहीं सदा ये दिल ये दर्द मंद है
एक बेवफा का प्यार लिफ़ाफ़े में बंद है

ये भी कोई सदा ये दिल ये दर्द मंद है
एक प्यार है और वो भी लिफाफे में बंद है

एक रोज़ यहीं आओगे वो दिन भी आएगा
जा तो रहे हो हमसे हर वादे को तोड़ कर

एक और शेर...शेर की नज़ाक़त देखिये

लिखने जो बैठा रात तेरे नाम से ग़ज़ल
अल्फ़ाज़ सामने थे खड़े थे हाथ जोड़ कर

शादी की रश्म करके चला जाऊंगा परदेश
कर दूंगा पेश अपना लहू ज़िस्म छोड़ कर////

Comments

Popular posts from this blog

Surveshu Matu+pitu

Dil se...>>