dil se..>>



जहाँ खड़े हो वहीँ तुम्हारी गरिमामय चर्चाये हो,
बोलो ऐसे बोल कि जैसे गुंजित वेद ऋचाये हो,
ऐसी भाषा लिखो कि पौरुष शब्द-शब्द परिलक्षित हो,
अक्षर-अक्षर में वीरो की बस गौरव गाथाए हो ।

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