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दोस्ती एक रिश्ता है;..

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दोस्ती एक रिश्ता है; जो निभाए वो फरिश्ता है; दोस्ती सच्ची प्रीत है; जुदाई जिसकी रीत है; जुदा होकर भी ना भूले; यह दोस्ती की जीत है।

दिल की वही तन्हाई।!

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कितने अंदाज से किया उसने नज़र अंदाज, ए खुदा उसके इस अंदाज को नज़र ना लगे हुस्न वालों ने क्या कभी की ख़ता कुछ भी ? ये तो हम हैं सारे इलज़ाम लिये फिरते हैं। सुबकती रही रात अकेली तनहाइयों के आगोश़ में, और वो काफिऱ दिन से मोहब्बत कर के उसका हो गया। सौ बार चमन महका, सौ बार बहार आई, दुनिया की वही रौनक, दिल की वही तन्हाई।

tera naam likha lenge...

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Iss dil par tera hi naam likha lenge... tere hi khwaab aaye, yadon me aise basa lenge... agar mil na sako to tasveer bhej dena... ham teri tashveer se hi kaam chala lenge....

ek lachaar hu....!

chaman se ek bichhra hua gulaab hu... mai khud apni tabaahi ka jabaab hu... yuu nigahen na pherna mujhse..? dard ke bajar me bikta hua ek lachaar hu....!

तेरे हुस्न का हर कोई दीवाना है ,

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तेरे हुस्न का हर कोई दीवाना है , तेरी हर अदा बड़ी कातिलाना है। कागज कलम कम पड़ जाते हैं लिखने को , ऐ सनम! तेरा चेहरा इतना शायराना है।

ये मंज़र क्यों है...

तेरी इस दुनिया में ये मंज़र क्यों है, कहीं ज़ख्म तो कहीं पीठ में खंजर क्यों है.. सुना है तू हर ज़र्रे में है रहता, फिर ज़मीं पर कहीं मस्जिद तो कहीं मंदिर क्यों है.. जब रहने वाले दुनियां के हर बन्दे तेरे हैं, फिर कोई किसी का दोस्त तो कोई दुश्मन क्यों है.. तू ही लिखता है हर किसी का मुक़द्दर, फिर कोई बदनसीब तो कोई मुक़द्दर का सिक्कंदर क्यों है!!

दिल की वही तन्हाई....

कितने अंदाज से किया उसने नज़र अंदाज, ए खुदा उसके इस अंदाज को नज़र ना लगे हुस्न वालों ने क्या कभी की ख़ता कुछ भी ? ये तो हम हैं सारे इलज़ाम लिये फिरते हैं। सुबकती रही रात अकेली तनहाइयों के आगोश़ में, और वो काफिऱ दिन से मोहब्बत कर के उसका हो गया। सौ बार चमन महका, सौ बार बहार आई, दुनिया की वही रौनक, दिल की वही तन्हाई।

रुख ही मोड़ दिया ..

सोच तो लिया था काट लेंगें जिंदगी तन्हाई में मगर तेरी एक याद ने सारा गुरूर तोड़ दिया हम चले जा रह थे जिस रस्ते पर एक दिन उस रस्ते का रुख ही मोड़ दिया 

हम....

जो कोई समझ न सके वो बात हैं हम, जो ढल के नयी सुबह लाये वो रात हैं हम, छोड़ देते हैं लोग रिश्ते बनाकर, जो कभी न छूटे वो साथ हैं हम

भर गया है दिल...

अब वफा से मुकर गया है दिल अब मोहब्बत से डर गया है दिल अब सहारों की बात मत करना अब तो दिलासों से ही भर गया है दिल

इश्क़ सब के बस की बात नही.....!!!!!

वो करते हैं बात इश्क़ की, पर इश्क़ के दर्द का उन्हें एहसास नहीं...!! इश्क़ वो चाँद है जो दिखता तो है सबको, पर उसे पाना सब के बस की बात नही.....!!!!!

आख़िर कब तक.....

एक महीने के वादे पर साल गुज़ारा फिर भी ना आये वादे का ये एक महीना, कब तक आख़िर, आख़िर कब तक सामने दुनिया भर के ग़म हैं और इधर इक तन्हा हम हैं सैकड़ों पत्थर, इक आईना, कब तक आख़िर, आख़िर कब तक

आप जैसा दोस्त....

हर मोड़ पर मुकाम नहीं होता. दिल के रिश्तों का कोई नाम नहीं होता. चिरागों की रोशनी से ढूँढा है आपको. आप जैसा दोस्त मिलना आसान नहीं होता.

आसान है #ज़िन्दगी

देखो तो ख्वाब है ज़िन्दगी, पढ़ो तो किताब है ज़िन्दगी, सुनो तो ज्ञान है ज़िन्दगी, पर हमें लगता है कि हँसते रहो तो आसान है #ज़िन्दगी**

दर्द छुपा होता है

हर दिल में दर्द छुपा होता है बयाँ करने का अंदाज़ जुदा होता है कोई अश्कों से बहा देता है और किसी की हंसी में भी दर्द छुपा होता है

Tujhko Sochun To Khyalaat Se Khushboo Aaye,

Teri Hasti Se Teri Zaat Se Khushboo Aaye, Tu Jo Bole To Teri Baat Se Khushboo Aaye, Tujhko Dekhun To Meri Aankh Mehak Si Jaye, Tujhko Sochun To Khyalaat Se Khushboo Aaye, Tu Chameli Hai, Nargis Hai, Ya Raat Ki Rani, Tujhko Chhu Lun To Mere Haath Se Khushboo Aaye.

अगर तुम मिलने आ जाओ...

तमन्ना फ़िर मचल जाये.. अगर तुम मिलने आ जाओ.. यह मौसम ही बदल जाये.. अगर तुम मिलने आ जाओ.. मुझे गम है.. कि मैने ज़िन्दगी मे कुछ नहीं पाया.. यह गम दिल से निकल जाये.. अगर तुम मिलने आ जाओ

जब तुमने ज़ुल्फ़ों को सँवारा है

नशीली रात में जब तुमने ज़ुल्फ़ों को सँवारा है हमारे जज़्बा–ए–दिल को उमंगो ने उभारा है गुलों को मिल गयी रंगत तुम्हारे सुर्ख़ गालों से सितारों ने चमक पाई तबस्सुम के उजालों से तुम्हारी मुस्कुराहट ने बहारों को निखारा है लब–ए–रंगीं अरे तौबा गुलाबी कर दिया मौसम तुम्हारी शोख़ नज़रों ने शराबी कर दिया मौसम नशे में चूर है आलम नशीला हर नज़ारा है

हमे अच्छे से जानते है।

ना अल्फाजो को समझते है, ना खामोशी को... ना दर्द को समझते है , ना उदासी को... फिर भी वो कहते है की वो? हमे अच्छे से जानते है।

Beraham.?

आँखों पे अश्कों की हुकूमत हुई है ... नींद उसके साथ ही रुखसत हुई है ... इलाज -ए गम ढूँढे नहीं मिलता ... यूँ उस बे -रहम से मोहब्बत हुई है !!