Dil se...>>



क़दम जब चूम ले मंज़िल तो जज़्बा मुस्कुराता है
दुआ लेकर चलो माँ की तो रस्ता मुस्कुराता है
किया नाराज़ माँ को और बच्चा हँस के ये बोला
के ये माँ है मियाँ! इसका तो गुस्सा मुस्कुराता है
किताबों से निकलकर तितलियाँ ग़ज़लें सुनाती हैं
टिफिन रखती है मेरी माँ तो बस्ता मुस्कुराता है
सभी रिश्ते यहाँ बर्बाद हैं मतलब परस्ती से
मगर सदियों से माँ-बेटे का रिश्ता मुस्कुराता है
सुबह उठते ही जब मैं चूमता हूँ माँ की आँखों को
ख़ुदा के साथ उसका हर फरिश्ता मुस्कुराता है
मेरी माँ के बिना मेरी सभी ग़ज़लें अधूरी हैं
अगर माँ लफ़्ज़ शामिल हो तो किस्सा मुस्कुराता है
वो उजला हो के मैला हो या मँहगा हो के सस्ता हो
ये माँ का सर है इस पे हर दुपट्टा मुस्कुराता है
फरिश्तों ने कहा आमाल का संदूक क्या खोलें
दुआ लाया है माँ की, इसका बक्सा मुस्कुराता है...।

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