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Showing posts from July, 2017

दिल की वही तन्हाई।

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https://www.facebook.com/ARZ-KIYA-HAIGarv-382166911935424/?ref=aymt_homepage_panel कितने अंदाज से किया उसने नज़र अंदाज, ए खुदा उसके इस अंदाज को नज़र ना लगे हुस्न वालों ने क्या कभी की ख़ता कुछ भी ? ये तो हम हैं सारे इलज़ाम लिये फिरते हैं। सुबकती रही रात अकेली तनहाइयों के आगोश़ में, और वो काफिऱ दिन से मोहब्बत कर के उसका हो गया। सौ बार चमन महका, सौ बार बहार आई, दुनिया की वही रौनक, दिल की वही तन्हाई।

ख्वाहिश करनी छोड़ दे।।

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अपनी मोहब्बत की नुमाइश करनी छोड़ दे ,  अपनी किस्मत के साथ आजमाइश करनी छोड़ दे।  मुझे हासिल करना तेरे लिए ख्वाब ही रहेगा ,  उस खुदा से मुझे पाने की ख्वाहिश करनी छोड़ दे।।

मोहब्बत आज भी जवाँ लगती है।।

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बदली बदली उनके शहर की आब ओ हवा लगती है , इश्क ऐ मर्ज इतना बढ़ गया है ना कोई दवा लगती है। उनके इश्क़ में मेरी मदहोशी का आलम तो देखिये , एक अरसा बीत गया पर मोहब्बत आज भी जवाँ लगती है।।

दोस्ती एक रिश्ता है;..

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दोस्ती एक रिश्ता है; जो निभाए वो फरिश्ता है; दोस्ती सच्ची प्रीत है; जुदाई जिसकी रीत है; जुदा होकर भी ना भूले; यह दोस्ती की जीत है।

मेरे दिल का हाल समझ सके..!!

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ना किसी का दिल मुझे चाहिये..! ना किसी की जान चाहिये.. मेरे दिल का हाल समझ सके, मुझे बस वो इंसान चाहिये..

तुम्हारी प्यारी सी नज़र .!!

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तुम्हारी प्यारी सी नज़र अगर इधर नहीं होती, नशे में चूर फ़िज़ा इस कदर नहीं होती, तुम्हारे आने तलक हम को होश रहता है, फिर उसके बाद हमें कुछ ख़बर नहीं होती ।।

दिल की वही तन्हाई।!

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कितने अंदाज से किया उसने नज़र अंदाज, ए खुदा उसके इस अंदाज को नज़र ना लगे हुस्न वालों ने क्या कभी की ख़ता कुछ भी ? ये तो हम हैं सारे इलज़ाम लिये फिरते हैं। सुबकती रही रात अकेली तनहाइयों के आगोश़ में, और वो काफिऱ दिन से मोहब्बत कर के उसका हो गया। सौ बार चमन महका, सौ बार बहार आई, दुनिया की वही रौनक, दिल की वही तन्हाई।

हर किसी को, झाकने की आदत है...

बिना लिबास आए थे इस जहां में, बस एक कफ़न की खातिर, इतना सफ़र करना पड़ा....!!!! समय के एक तमाचे की देर है प्यारे, मेरी फ़क़ीरी भी क्या, तेरी बादशाही भी क्या....!!!! जैसा भी हूं अच्छा या बुरा अपने लिये हूं, मै खुद को नही देखता औरो की नजर से....!!!! मुलाकात जरुरी हैं, अगर रिश्ते निभाने हो, वरना लगा कर भूल जाने से पौधे भी सुख जाते हैं....!!!! नींद आए या ना आए, चिराग बुझा दिया करो, यूँ रात भर किसी का जलना, हमसे देखा नहीं जाता....!!!! मोबाइल चलाना जिसे सिखा रहा हूँ मैं, पहला शब्द लिखना उसने मुझे सिखाया था....!!!! यहाँ हर किसी को, दरारों में झाकने की आदत है, दरवाजे खोल दो, कोई पूछने भी नहीं आएगा....!!!! "तू अचानक मिल गई तो कैसे पहचानुंगा मैं, ऐ खुशी.. तू अपनी एक तस्वीर भेज दे....!!!! इसी लिए तो बच्चों पे नूर सा बरसता है, शरारतें करते हैं, साजिशें तो नहीं करते....!!!! महँगी से महँगी घड़ी पहन कर देख ली, वक़्त फिर भी मेरे हिसाब से कभी ना चला ...!! युं ही हम दिल को साफ़ रखा करते थे .. पता नही था की, 'किमत चेहरों की होती है!! दो बातें इंसान को अपनों से दूर

tera naam likha lenge...

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Iss dil par tera hi naam likha lenge... tere hi khwaab aaye, yadon me aise basa lenge... agar mil na sako to tasveer bhej dena... ham teri tashveer se hi kaam chala lenge....

ek lachaar hu....!

chaman se ek bichhra hua gulaab hu... mai khud apni tabaahi ka jabaab hu... yuu nigahen na pherna mujhse..? dard ke bajar me bikta hua ek lachaar hu....!

तेरे हुस्न का हर कोई दीवाना है ,

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तेरे हुस्न का हर कोई दीवाना है , तेरी हर अदा बड़ी कातिलाना है। कागज कलम कम पड़ जाते हैं लिखने को , ऐ सनम! तेरा चेहरा इतना शायराना है।

ये मंज़र क्यों है...

तेरी इस दुनिया में ये मंज़र क्यों है, कहीं ज़ख्म तो कहीं पीठ में खंजर क्यों है.. सुना है तू हर ज़र्रे में है रहता, फिर ज़मीं पर कहीं मस्जिद तो कहीं मंदिर क्यों है.. जब रहने वाले दुनियां के हर बन्दे तेरे हैं, फिर कोई किसी का दोस्त तो कोई दुश्मन क्यों है.. तू ही लिखता है हर किसी का मुक़द्दर, फिर कोई बदनसीब तो कोई मुक़द्दर का सिक्कंदर क्यों है!!

दिल की वही तन्हाई....

कितने अंदाज से किया उसने नज़र अंदाज, ए खुदा उसके इस अंदाज को नज़र ना लगे हुस्न वालों ने क्या कभी की ख़ता कुछ भी ? ये तो हम हैं सारे इलज़ाम लिये फिरते हैं। सुबकती रही रात अकेली तनहाइयों के आगोश़ में, और वो काफिऱ दिन से मोहब्बत कर के उसका हो गया। सौ बार चमन महका, सौ बार बहार आई, दुनिया की वही रौनक, दिल की वही तन्हाई।

रुख ही मोड़ दिया ..

सोच तो लिया था काट लेंगें जिंदगी तन्हाई में मगर तेरी एक याद ने सारा गुरूर तोड़ दिया हम चले जा रह थे जिस रस्ते पर एक दिन उस रस्ते का रुख ही मोड़ दिया 

हम....

जो कोई समझ न सके वो बात हैं हम, जो ढल के नयी सुबह लाये वो रात हैं हम, छोड़ देते हैं लोग रिश्ते बनाकर, जो कभी न छूटे वो साथ हैं हम

भर गया है दिल...

अब वफा से मुकर गया है दिल अब मोहब्बत से डर गया है दिल अब सहारों की बात मत करना अब तो दिलासों से ही भर गया है दिल

इश्क़ सब के बस की बात नही.....!!!!!

वो करते हैं बात इश्क़ की, पर इश्क़ के दर्द का उन्हें एहसास नहीं...!! इश्क़ वो चाँद है जो दिखता तो है सबको, पर उसे पाना सब के बस की बात नही.....!!!!!

आख़िर कब तक.....

एक महीने के वादे पर साल गुज़ारा फिर भी ना आये वादे का ये एक महीना, कब तक आख़िर, आख़िर कब तक सामने दुनिया भर के ग़म हैं और इधर इक तन्हा हम हैं सैकड़ों पत्थर, इक आईना, कब तक आख़िर, आख़िर कब तक

आप जैसा दोस्त....

हर मोड़ पर मुकाम नहीं होता. दिल के रिश्तों का कोई नाम नहीं होता. चिरागों की रोशनी से ढूँढा है आपको. आप जैसा दोस्त मिलना आसान नहीं होता.

क्या पाया मैंने दिल हार कर ....

सरल विरल  सी अभिलाषा मन में  लिय एक जिज्ञाषा सो न सका मैं रात भर यह विचार कर क्या पाया मैंने दिल हार कर प्यार खोने का नाम है या पाने का ? खोने का ? तो जो रातों की नींद  मैंने खोई थी ख़्वाबों की फसल जो मैंने बोई थी करके हवाले उसे जब किसी गैर के   चल जो दिए किनारे किनारे नहर के क्या उससे प्यार में मेरी वो जीत थी हाँ, तभी तो वो मुझसे भयभीत थी  प्यार में,  हारने वाला सब कुछ लूट  कर ले जाता फिर भी वो एक बार भी  कहाँ मुस्कराता है मैं तो मुस्करा रहा हूँ सब कुछ हार कर हाँ मगर बैठा हूँ तमन्नाओं को मारकर तमन्नाएँ  शजर की जड़ें  होती हैं दिल की जमीं  से खुशियों का पानी सोखती  हैं  मेरा तन जर्जर कर दिया है अभिलाषाओ  ने आत्मा को तोड़ दिया है निराशाओं ने आज मुझ में फिर एक उम्मीद जगी है गम न अब और न करो दुनियां का, कौनसी  यह अपनी सगी है   

आसान है #ज़िन्दगी

देखो तो ख्वाब है ज़िन्दगी, पढ़ो तो किताब है ज़िन्दगी, सुनो तो ज्ञान है ज़िन्दगी, पर हमें लगता है कि हँसते रहो तो आसान है #ज़िन्दगी**

दर्द छुपा होता है

हर दिल में दर्द छुपा होता है बयाँ करने का अंदाज़ जुदा होता है कोई अश्कों से बहा देता है और किसी की हंसी में भी दर्द छुपा होता है

#पिता_क्या_है\))

#पिता_क्या_है\)) पिता एक उम्मीद है, एक आस है परिवार की हिम्मत और विश्वास है, बाहर से सख्त अंदर से नर्म है उसके दिल में दफन कई मर्म हैं। पिता संघर्ष की आंधियों में हौसलों की दीवार है परेशानियों से लड़ने को दो धारी तलवार है, बचपन में खुश करने वाला खिलौना है नींद लगे तो पेट पर सुलाने वाला बिछौना है। पिता जिम्मेवारियों से लदी गाड़ी का सारथी है सबको बराबर का हक़ दिलाता यही एक महारथी है, सपनों को पूरा करने में लगने वाली जान है इसी से तो माँ और बच्चों की पहचान है। पिता ज़मीर है पिता जागीर है जिसके पास ये है वह सबसे अमीर है, कहने को सब ऊपर वाला देता है, पर खुदा का ही एक रूप पिता का शरीर है।

Tujhko Sochun To Khyalaat Se Khushboo Aaye,

Teri Hasti Se Teri Zaat Se Khushboo Aaye, Tu Jo Bole To Teri Baat Se Khushboo Aaye, Tujhko Dekhun To Meri Aankh Mehak Si Jaye, Tujhko Sochun To Khyalaat Se Khushboo Aaye, Tu Chameli Hai, Nargis Hai, Ya Raat Ki Rani, Tujhko Chhu Lun To Mere Haath Se Khushboo Aaye.

अगर तुम मिलने आ जाओ...

तमन्ना फ़िर मचल जाये.. अगर तुम मिलने आ जाओ.. यह मौसम ही बदल जाये.. अगर तुम मिलने आ जाओ.. मुझे गम है.. कि मैने ज़िन्दगी मे कुछ नहीं पाया.. यह गम दिल से निकल जाये.. अगर तुम मिलने आ जाओ

जब तुमने ज़ुल्फ़ों को सँवारा है

नशीली रात में जब तुमने ज़ुल्फ़ों को सँवारा है हमारे जज़्बा–ए–दिल को उमंगो ने उभारा है गुलों को मिल गयी रंगत तुम्हारे सुर्ख़ गालों से सितारों ने चमक पाई तबस्सुम के उजालों से तुम्हारी मुस्कुराहट ने बहारों को निखारा है लब–ए–रंगीं अरे तौबा गुलाबी कर दिया मौसम तुम्हारी शोख़ नज़रों ने शराबी कर दिया मौसम नशे में चूर है आलम नशीला हर नज़ारा है

हमे अच्छे से जानते है।

ना अल्फाजो को समझते है, ना खामोशी को... ना दर्द को समझते है , ना उदासी को... फिर भी वो कहते है की वो? हमे अच्छे से जानते है।

ज़िन्दगी ईम्तिहान ना ले तू...

Gaurav kumar: ज़िन्दगी ईम्तिहान ना ले तू मेरा ईतना भी... अगर, सो सकता हु फूलो की सेज पर,, तो चल सकता हु ,हँसते हुए कांटो पर भी... तू है अगर गमो का दरिया, तो मेरे पास सब्र की नैया, और होंसले की पतवार भी... भटका दे अन्जान रास्ते पर मुजको, फैला दे अंधेरा चाहे तू जितना भी... हर अंधेरे को ऊजाले से भर दूंगा, हर राह को जानी पहेचानी कर दूंगा, ढूंढ ही लूंगा अंधेरे में ही, मै अपने रास्ते को, यकीन तो ऊतना मुजको अपने पर भी.. अगर लेती है ज़िन्दगी तू इम्तिहान, तो देते है हम भी... हिंम्मत के पंख हो अगर ऊड़ने को, तो फिर कम है सारा आसमांन भी... ज़िन्दगी ईम्तिहान ना ले तू मेरा ईतना भी l —

छोटा सा गाम मेरा पुरा बिग् बाजार था,,,

Gaurav kumar: छोटा सा गाम मेरा पुरा बिग् बाजार था,, एक नाई, एक खाती, एक काला लुहार था.... छोटे छोटे घर थे, हर आदमी बङा दिलदार था,, छोटा सा गाम मेरा पुरा बिग् बाजार था,,, कितै भी रोटी खा लेतै, हर घर मे भोजऩ तैयार था,,, बिटोङे पे घिया तौरी हो जाती,, जिसके आगे शाही पनीर बेकार था.. छोटा सा गाम मेरा पुरा बिग् बाजार था।।। दो मिऩट की मैगी ना, झटपट दलिया तैयार था,,, नीम की निम्बोली और शहतुत सदाबहार था... अपणा घङवा कस कै बजा लेते, लख्मी पुरा संगीतकार था,,, छोटा सा गाम मेरा पुरा बिग् बाजार था,,, मुल्तानी माटी  ते जोहड़ में नहा लेते, साबुन अर स्विमिंग पूल बेकार था,,, अर फेर कबड्डी खेल लेते, कैसा मुझे क्रिकेट का खुमार था,,, छोटा सा गाम मेरा पुरा बिग् बाजार था,, बुढ़या की बात सुन लेते, कुन्सा टेलीविज़न अर अखबार था,,, भाई नै भाई देख कै राज़ी था, सबमै घणा प्यार था,,, छोटा सा गाम मेरा पुरा बिग् बाजार था,, वो प्यार, वो संस्कृति मैं इब कड़े तै ल्याऊं, या सोच सोच कै मैं घणाए दुखी पाऊं। जै वोए टैम फेर आज्या, तो घणाए मजा आज्या,,, मैं अपनी असली जिन्दगी जी पाऊं, अर मैं इस धरत

अफ़सोस मत करो....

Gaurav kumar: वो अपने घर चला गया अफ़सोस मत करो । इतना ही उस का साथ था अफ़सोस मत करो। इंसान अपने आप में मजबूर है बहुत । कोई नही है बेवफा अफ़सोस मत करो ।। इस बार तुम को आने में कुछ देर हो गई । थक हार के वो सो गया अफ़सोस मत करो ।। दुनिया में  और चाहने वाले भी हैं बहुत । जो होना था सो हो गया अफ़सोस मत करो ।। इस ज़िंदगी के मुझ पे कई क़र्ज़ हैं मगर । में जल्द लौट आऊँगा अफ़सोस मत करो ।। ये देखो फिर से आ गयी फूलों पे तितलियाँ । इक रोज़ वो भी आएगा अफ़सोस मत करो ।। वो तुम से आज दूर है  कल पास आएगा । फिर से खुदा मिलाएगा अफ़सोस मत करो ।। बेकार जी पे बोझ लिए फिर रहे हो तुम । दिल है तुम्हारा फ़ूल सा अफ़सोस मत करो ..

jindagi aasaan hai....?

Gaurav kumar: “jindagi mein agar sahara mil jaye, to jindagi aasaan hai.... Jis ko chaaha hai agar woh hi mil jaye, to zindagi aasaan hai.... Na hawa chal rahi hai, na asmaan se baras raha hai badal…. Agar upar se ek dua ka asar hi mil jaye, to jindagi aasaan hai.... Sahra mein talash karte usey, khud hi na bhatak jayen hum…. Agar achaanak pani ki ek boond hi mil jaye, to jindagi aasaan hai... patjhar mein khud ko patton ke zard mein la kar…. Agar achanak koi manzil mil jaye, to  jindagi aasaan hai... Ab aakhiri lamhaat hain shamaa bujhne kay…. Bas ek nazar us ko dekh le to jindagi "dena" aasaan hai”

Sab ke hotho'n ko hansi....

Gaurav kumar: Sab ke hontho'n ko hansi, apni aankho'n ko nami... Khud to rote rahe'n,  auron ko hansaaye'n kab tak?... Zikra sunkar mera jo, anjaan banta jata hai... Sar-e-aam ro ro ke, usey apna bataye'n kab tak?... Mujhe bhoolkar apni duniya me,  jo shaad hai... (shaad==busy) Bojh uski yaado'n ke, janaaze ka uthaye'n kab tak?....

Unko ye shikayat hai. ..?

Gaurav kumar: Unko ye shikayat hai ki main bewafai pe nahi likhta,, Aur main sochta hun ki main unki ruswai pe nahi likhta,, Khud apne se jyada bura jamane me kaun hai,, Is liye main auron ki buraai pe nahi likhta,, Kuchh toh aadaton se majbur hain aur kuchh fiaraton ki pasand hai,, Jakhm kitne bhi gehre ho, main unki duhai pe nahi likhta,,

कहाँ पर बोलना है और बोल जाते हैं?

कहाँ पर बोलना है और कहाँ पर बोल जाते हैं। जहाँ खामोश रहना है वहाँ मुँह खोल जाते हैं।। कटा जब शीश सैनिक का तो हम खामोश रहते हैं। कटा एक सीन पिक्चर का तो सारे बोल जाते हैं।। नयी नस्लों के ये बच्चे जमाने भर की सुनते हैं। मगर माँ बाप कुछ बोले तो बच्चे बोल जाते हैं।। बहुत ऊँची दुकानों में कटाते जेब सब अपनी। मगर मज़दूर माँगेगा तो सिक्के बोल जाते हैं।। अगर मखमल करे गलती तो कोई कुछ नहीँ कहता। फटी चादर की गलती हो तो सारे बोल जाते हैं।। हवाओं की तबाही को सभी चुपचाप सहते हैं। च़रागों से हुई गलती तो सारे बोल जाते हैं।। बनाते फिरते हैं रिश्ते जमाने भर से अक्सर। मगर जब घर में हो जरूरत तो रिश्ते भूल जाते हैं।। कहाँ पर बोलना है और कहाँ पर बोल जाते हैं। जहाँ खामोश रहना है वहाँ मुँह खोल जाते हैं।। .....

nayan seekh rhe hain hasna jhoothi baaton par,,,

Gaurav Kumar: "सूरज पर प्रतिबन्ध अनेकों, और भरोसा रातों पर,,, नयन हमारे सीख रहे हैं, हँसना झूठी बातों पर,,, हमने जीवन की चौसर पर दाँव लगाए आँसू वाले,,, कुछ लोगों ने हर पल, हर छिन , मौके देखे बदले पाले,,, हम शंकित सच पर अपने, वे मुग्ध स्वयं की घातों पर,,, नयन हमारे सीख रहे हैं, हँसना झूठी बातों पर,,, Hm tk aa kr laut gyi mausam ki besharm kripaayein,,, hm sehre ke sang baandhi apni sub maasoom khatayein,,, hmne kabhi na rakha swayam ko avsar ke anupaaton par,,, nayan hmre seekh rhe hain hasna jhoothi baaton par,,,

Bahut Yad aate Hain,...

Gaurav kumar:  Jab Yad Ka Album Kholu to, Kuch Log Bahut Yad aate Hain, Main gujre dino ko Sochon to, Kuch Log Bahut Yad aate Hain, Ab Jane Kis Nagri Me, Soye Pare Hain Muddat Se, Main Rat Gaye Tak Jagoon to, Kuch Log Bahut Yad aate Hain, Kuch Batein Thi Phoolon Jaisi, Kuch Khushboo Jaisi Lehje the, Mein Sheher-e-Chaman Me Tahloon to, Kuch Log Bahut Yad aate Hain, Wo Pal Bhar ki Narazgiyan Aur, Maan Bhi Jana pal Bhar Me, Ab Khud Se Jab bhi ruthoon to, Kuch Log Bahut Yad aate hain..

Dil yeh chahe ki chhupa loon Tumhe. ..!

Gaurav kumar: Dil chahta hai zamaane se chhupa loon tujh ko, Dil ki dhadhkan ki tarah dil mein basaa loon tujh ko., Koi ehsaas judaai ka na rh paye,, Is tarah khud mein meri jaan chhupa loon tujh ko., Tu jo rooth jaye mujh se mere dil ke malik,, Saari duniya se khafa ho kar manaa loon tujh ko. Jab main dekhoon tere chehre pe udaasi ka samaa,, Bas yeh chahoon kisi tarah hansaa loon tujh ko., Tu kabhi jab duniya se bezaar ho jaye ,, Dil yeh chahe ki bahon mein chhupa loon tujh ko!

tera nasib rulaye Khuda kare,,

Gaurav kumar: tu bhi kisi ka pyar na paye Khuda kare,, tujh ko tera nasib rulaye Khuda kare,, raton mein tujh ko nind na aye Khuda kare,, tu dar-ba-dar ki thokren khaye Khuda kare,, aye bahar tere gulistan mein bar bar,, tujh par kabhi nikhar na aye Khuda kare,, meri tarah tujhe bhi jawani mein gam mile,, tera na koi sath nibhaye Khuda kare,, manzil kabhi bhi pyar ki tujh ko na mil sake,, tu bhi dua ko hath uthaye Khuda kare,, tujh par shab-e-wisal ki raten haram ho,, shammein jala jala k bujhaye Khuda kare,, ho jayen bad-duayen meri dosto galat,, ab un pe koi harf na aye Khuda kare,,

Kahin Dil Lage Hum Nahi Chahte....

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Gaurav kumar: Shaam-e-Furqat Dhale Hum Nahi Chahte,, Ghum Se Fursat Miley Hum Nahi Chahte,, Phir Naya Waar Sehne Ko Taiyar Hai,, Tu Pareshan Rahe Hum Nahi Chahte,, Aaj In Aansoo Ko Bahene Se Mat Roko,, Aaj Barish Thame Hum Nahi Chahte,, Hum Tere Baad Ujde Hue Hi Thik Hain,, Ab Kahin Dil Lage Hum Nahi Chahte,, Tujhe Pakar To Hum Dadhakte Hi Rahen,, Tu hamari Nazar Se Hate Hum Nahi Chahte,, Kis Qadar Dilnashee Hai Ye Maujon Ka Shor,, Ghum Ka Ye Darya Ruke Hum Nahi Chahte,, Iss Qadar Pyaar Se Tu Pukara Na Kar,, Aag Zamaane Ko Lage Hum Nahi Chahte ...

तुम्हें खुदा ने हमारे लिए बनाया है...

Gaurav kumar: वो चांदनी का बदन खुश्बुओं का साया है,, बहुत अज़ीज़ हमें है मगर पराया है,, उतर भी आओ कभी आसमां के ज़ीने से,, तुम्हें खुदा ने हमारे लिए बनाया है,, कहाँ से आई ये खुशबू ये घर की खुशबू है,, इस अजनबी के अँधेरे में कौन आया है,, महक रही है ज़मीं चांदनी के फूलों से,, खुदा किसी की मोहब्बत पे मुस्कुराया है,, उसे किसी की मोहब्बत का ऐतबार नहीं,, उसे ज़माने ने शायद बहुत सताया है,, तमाम उम्र मेरा दम इसी धुएँ में घुटा,, वो इक चिराग था मैंने उसे बुझाया है .....

खुशी ने मुझको ठुकराया है...

Gaurav Kumar‬: खुशी ने मुझको ठुकराया है रंज-ओ-गम ने पाला है ,, गुलों ने बेरुखी की है तो काँटों ने सम्भाला है ,, मुहब्बत में ख़याल-ए-साहिल-ओ-मंजिल है नादानी ,, जो इन राहों में लूट जाये वही तकदीर वाला है ,, चरागाँ कर के दिल बहला रहे हो क्या जहां वालों ,, अँधेरा लाख रौशन हो उजाला फिर उजाला है ,, किनारों से मुझे ऐ नाखुदा दूर ही रखना वहां लेकर चलो तूफ़ान जहां से उठने वाला है ,, नशेमन ही के लूट जाने का गम होता तो क्या गम था ,, यहां तो बेचने वालों ने गुलशन बेच डाला है !

जीन्दगी इक चाह कर तूँ। ....

Gaurav kumar‬: उलझनें बनकर खुदी की, ना नज़र गुमराह कर तूँ। जीन्दगी हर पल नई है, आख़िरी इक चाह कर तूँ। ना नयन की कोपलों को, अश्क से तर आह भर तूँ। ना दुखी होकर खुदा से, मौत की आगाह कर तूँ। जीन्दगी हर पल नई है, आख़िरी इक चाह कर तूँ। ख्वाइसें पूरी सभी हों, चाहना झूठा सबब है। मंजिलें मुश्किल भरीं तो, जीन्दगी जीना सबक़ है। ना निगाहें फेर खुद से, बस ख़ुशी की राह कर तूँ। जीन्दगी हर पल नई है, आख़िरी इक चाह कर तूँ।          :-)

Rishte. .

Rishte nibhana Itna aasan baat nahi hai "Garv"... Apna dil dukhana parta hai dusre ki khushi ke liye. .

Julfon ko sanwara hai?

नशीली रात में जब तुमने ज़ुल्फ़ों को सँवारा है..हमारे जज़्बा–ए–दिल को उमंगो ने उभारा है गुलों को मिल गयी रंगत तुम्हारे सुर्ख़ गालों से.सितारों ने चमक पाई तबस्सुम के उजालों से..तुम्हारी मुस्कुराहट ने बहारों को निखारा है.. लब–ए–रंगीं अरे तौबा गुलाबी कर दिया मौसम.. तुम्हारी शोख़ नज़रों ने शराबी कर दिया मौसम.. नशे में चूर है आलम नशीला हर नज़ारा है.. नशीली रात में जब तुमने ज़ुल्फ़ों को सँवारा है..

Beraham.?

आँखों पे अश्कों की हुकूमत हुई है ... नींद उसके साथ ही रुखसत हुई है ... इलाज -ए गम ढूँढे नहीं मिलता ... यूँ उस बे -रहम से मोहब्बत हुई है !!

Tum aaye?

जब नहीं आए थे तुम, तब भी तो तुम आए थे..आँख में नूर की और दिल में लहू की सूरत.. याद की तरह धड़कते हुए दिल की सूरत.. तुम नहीं आए अभी, फिर भी तो तुम आए हो.. रात के सीने में महताब के खंज़र की तरह.. सुब्‍हो के हाथ में ख़ुर्शीद के सागर की तरह.. तुम नहीं आओगे जब, ​फिर भी तो तुम आओगे.. ज़ुल्‍फ़ दर ज़ुल्‍फ़ ​बिखर जाएगा ​फिर रात का रंग.. शब–ए–तन्‍हाई में भी लुत्‍फ़–ए–मुलाक़ात का रंग.. आओ आने की करें बात, कि तुम आए हो.. अब तुम आए हो तो मैं कौन सी शै नज़र करूँ, के मेरे पास सिवा मेहर–ओ–वफ़ा कुछ भी नहीं.. एक दिल एक तमन्ना के सिवा कुछ भी नहीं..

Being a women..

कभी कभी लगता है, औरत होना एक सजा है... ना पढ़े तो अनपढ़, जाहिल... पढ़ ले तो पढ़ाई का घमंड है... शादी ना करे तो बदचलन नकचढ़ी है ... कर ले तो अब आया ऊँट पहाड़ के नीचे... सबसे मिल कर रहे तो चालाक , मिल कर ना रहे तो घमंडी... पढ़ लिख कर घर रहे तो क्यों इतने साल और पैसे खोए... नौकरी करे, तो पर निकल आए नौकरी का घमंड है... सहकर्मियों से बात करे तो चलता पुर्जा... ना करे तो छोटी सोच वाली... बड़ा लंबा चिठ्ठा है साहब, क्या क्या कहें? अच्छा है कि चुप रहें.

Taarif~e~ Shayari

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Band Karo khud pe ahsaan karna.. Kaun kahta hai sabse bura ho jaoge.. Meri najar se kavi khud ko Dekhna.. Tum khud hi khud pe fida ho jaoge..

Jahar kya hai?

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अर्जून ने कृष्ण से पुछा..   ज़हर क्या है"..? कृष्ण ने बहुत सुन्दर जबाब दिया... हर वो चीज़ जो ज़िन्दगी में आवश्यकता से अधिक होती है   वही ज़हर है.. फ़िर चाहे वो ताक़त हो, धन हो, भूख हो, लालच हो, अभिमान हो, आलस हो, महत्वकाँक्षा हो, प्रेम हो या घृणा.. आवश्यकता से अधिक "ज़हर" ही है..

Pati+patni

*COUPLE'S * Always *Respect*, *Care n Love* This *Relationship* this is a *Beautiful Gift* Given By *God*           *पति-पत्नी...* एक बनाया गया *रिश्ता*, पहले कभी एक दूसरे को *देखा* भी नहीं था, अब सारी *जिंदगी* एक दूसरे के साथ, पहले *अपरिचित*, फिर धीरे धीरे होता *परिचय*,धीरे-धीरे होने वाला *स्पर्श*, फिर *नोकझोंक*... *झगड़े*, बोलचाल *बंद*, कभी *जिद*, कभी *अहम का भाव*.......... फिर धीरे धीरे बनती जाती *प्रेम पुष्पों* की *माला* , फिर *एकजीवता*, *तृप्तता*, वैवाहिक जीवन को *परिपक्व* होने में *समय* लगता है धीरे धीरे जीवन में *स्वाद और मिठास* आती है, ठीक वैसे ही जैसे *अचार* जैसे जैसे *पुराना* होता जाता है, उसका *स्वाद* बढ़ता जाता है....... *पति पत्नी* एक दूसरे को अच्छी प्रकार *जानने समझने* लगते हैं, *वृक्ष* बढ़ता जाता है, * *बेलें फूटती* जातीं हैं, *फूल*आते हैं, *फल* आते हैं,  रिश्ता और *मजबूत* होता जाता है, धीरे-धीरे बिना एक दूसरे के *अच्छा* ही नहीं लगता, *उम्र* बढ़ती  जाती है, दोनों एक दूसरे पर अधिक *आश्रित* होते जाते हैं, एक दूसरे के बगैर *खालीपन* महसूस होने लगता है, फिर धीरे-धीर