ज़िन्दगी ईम्तिहान ना ले तू...

Gaurav kumar:
ज़िन्दगी ईम्तिहान ना ले तू मेरा ईतना भी...
अगर, सो सकता हु फूलो की सेज पर,,
तो चल सकता हु ,हँसते हुए कांटो पर भी...
तू है अगर गमो का दरिया,
तो मेरे पास सब्र की नैया,
और होंसले की पतवार भी...
भटका दे अन्जान रास्ते पर मुजको,
फैला दे अंधेरा चाहे तू जितना भी...
हर अंधेरे को ऊजाले से भर दूंगा,
हर राह को जानी पहेचानी कर दूंगा,
ढूंढ ही लूंगा अंधेरे में ही, मै अपने रास्ते को,
यकीन तो ऊतना मुजको अपने पर भी..
अगर लेती है ज़िन्दगी तू इम्तिहान,
तो देते है हम भी...
हिंम्मत के पंख हो अगर ऊड़ने को,
तो फिर कम है सारा आसमांन भी...
ज़िन्दगी ईम्तिहान ना ले तू
मेरा ईतना भी l —

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