आख़िर कब तक.....
एक महीने के वादे पर साल गुज़ारा फिर भी ना आये
वादे का ये एक महीना, कब तक आख़िर, आख़िर कब तक
सामने दुनिया भर के ग़म हैं और इधर इक तन्हा हम हैं
सैकड़ों पत्थर, इक आईना, कब तक आख़िर, आख़िर कब तक
एक महीने के वादे पर साल गुज़ारा फिर भी ना आये
वादे का ये एक महीना, कब तक आख़िर, आख़िर कब तक
सामने दुनिया भर के ग़म हैं और इधर इक तन्हा हम हैं
सैकड़ों पत्थर, इक आईना, कब तक आख़िर, आख़िर कब तक
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