तुम्हें खुदा ने हमारे लिए बनाया है...
Gaurav kumar:
वो चांदनी का बदन खुश्बुओं का साया है,,
बहुत अज़ीज़ हमें है मगर पराया है,,
उतर भी आओ कभी आसमां के ज़ीने से,,
तुम्हें खुदा ने हमारे लिए बनाया है,,
कहाँ से आई ये खुशबू ये घर की खुशबू है,,
इस अजनबी के अँधेरे में कौन आया है,,
महक रही है ज़मीं चांदनी के फूलों से,,
खुदा किसी की मोहब्बत पे मुस्कुराया है,,
उसे किसी की मोहब्बत का ऐतबार नहीं,,
उसे ज़माने ने शायद बहुत सताया है,,
तमाम उम्र मेरा दम इसी धुएँ में घुटा,,
वो इक चिराग था मैंने उसे बुझाया है .....
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