जब तुमने ज़ुल्फ़ों को सँवारा है
नशीली रात में जब तुमने ज़ुल्फ़ों को सँवारा है
हमारे जज़्बा–ए–दिल को उमंगो ने उभारा है
गुलों को मिल गयी रंगत तुम्हारे सुर्ख़ गालों से
सितारों ने चमक पाई तबस्सुम के उजालों से
तुम्हारी मुस्कुराहट ने बहारों को निखारा है
लब–ए–रंगीं अरे तौबा गुलाबी कर दिया मौसम
तुम्हारी शोख़ नज़रों ने शराबी कर दिया मौसम
नशे में चूर है आलम नशीला हर नज़ारा है
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