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sabkuchh tum...

रूठी जो ज़िंदगी तो माना लेंगे हम, मिले जो गम वो सह लेंगे हम, बस आप रहना हमेशा साथ हमारे, तो निकलते हुए आँसुओ मे भी मुस्कुरा लेंगे हम…

jindgi...

Itna bhi mat thaka aye jindgi!! Majboor hu, majdoor nahi... 

Mujheme mujhe thora sa baaki rahne de..

Jeene ke liye khud ko aur kitna badlu ai jindgi,,, Mujhme mujhe avi thora sa baaki rahne de,, .....Garv.....

ये तो जाते हुए तुम मुझको बताते जाते,,,

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तुमने मुड़कर भी नहीं देखा मुझे जाते जाते,,, एक तकल्लुफ़ ही सही जिसको निभाते जाते,,, क्या ख़ता थी के टूट गये हैं सब रिश्ते ,,, ये तो जाते हुए तुम मुझको बताते जाते,,, ना इख़लास कोई ना ही शिकायत कोई,,, कोई एहसान सही वो ही जताते जाते,,, संभलना कैसे है मुझको तेरे जाने के बाद,,, कम से कम ये हुनर भी तो मुझे बताते जाते,,,

दिल की वही तन्हाई।

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https://www.facebook.com/ARZ-KIYA-HAIGarv-382166911935424/?ref=aymt_homepage_panel कितने अंदाज से किया उसने नज़र अंदाज, ए खुदा उसके इस अंदाज को नज़र ना लगे हुस्न वालों ने क्या कभी की ख़ता कुछ भी ? ये तो हम हैं सारे इलज़ाम लिये फिरते हैं। सुबकती रही रात अकेली तनहाइयों के आगोश़ में, और वो काफिऱ दिन से मोहब्बत कर के उसका हो गया। सौ बार चमन महका, सौ बार बहार आई, दुनिया की वही रौनक, दिल की वही तन्हाई।

ख्वाहिश करनी छोड़ दे।।

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अपनी मोहब्बत की नुमाइश करनी छोड़ दे ,  अपनी किस्मत के साथ आजमाइश करनी छोड़ दे।  मुझे हासिल करना तेरे लिए ख्वाब ही रहेगा ,  उस खुदा से मुझे पाने की ख्वाहिश करनी छोड़ दे।।

मोहब्बत आज भी जवाँ लगती है।।

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बदली बदली उनके शहर की आब ओ हवा लगती है , इश्क ऐ मर्ज इतना बढ़ गया है ना कोई दवा लगती है। उनके इश्क़ में मेरी मदहोशी का आलम तो देखिये , एक अरसा बीत गया पर मोहब्बत आज भी जवाँ लगती है।।

दोस्ती एक रिश्ता है;..

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दोस्ती एक रिश्ता है; जो निभाए वो फरिश्ता है; दोस्ती सच्ची प्रीत है; जुदाई जिसकी रीत है; जुदा होकर भी ना भूले; यह दोस्ती की जीत है।

मेरे दिल का हाल समझ सके..!!

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ना किसी का दिल मुझे चाहिये..! ना किसी की जान चाहिये.. मेरे दिल का हाल समझ सके, मुझे बस वो इंसान चाहिये..

तुम्हारी प्यारी सी नज़र .!!

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तुम्हारी प्यारी सी नज़र अगर इधर नहीं होती, नशे में चूर फ़िज़ा इस कदर नहीं होती, तुम्हारे आने तलक हम को होश रहता है, फिर उसके बाद हमें कुछ ख़बर नहीं होती ।।

दिल की वही तन्हाई।!

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कितने अंदाज से किया उसने नज़र अंदाज, ए खुदा उसके इस अंदाज को नज़र ना लगे हुस्न वालों ने क्या कभी की ख़ता कुछ भी ? ये तो हम हैं सारे इलज़ाम लिये फिरते हैं। सुबकती रही रात अकेली तनहाइयों के आगोश़ में, और वो काफिऱ दिन से मोहब्बत कर के उसका हो गया। सौ बार चमन महका, सौ बार बहार आई, दुनिया की वही रौनक, दिल की वही तन्हाई।

हर किसी को, झाकने की आदत है...

बिना लिबास आए थे इस जहां में, बस एक कफ़न की खातिर, इतना सफ़र करना पड़ा....!!!! समय के एक तमाचे की देर है प्यारे, मेरी फ़क़ीरी भी क्या, तेरी बादशाही भी क्या....!!!! जैसा भी हूं अच्छा या बुरा अपने लिये हूं, मै खुद को नही देखता औरो की नजर से....!!!! मुलाकात जरुरी हैं, अगर रिश्ते निभाने हो, वरना लगा कर भूल जाने से पौधे भी सुख जाते हैं....!!!! नींद आए या ना आए, चिराग बुझा दिया करो, यूँ रात भर किसी का जलना, हमसे देखा नहीं जाता....!!!! मोबाइल चलाना जिसे सिखा रहा हूँ मैं, पहला शब्द लिखना उसने मुझे सिखाया था....!!!! यहाँ हर किसी को, दरारों में झाकने की आदत है, दरवाजे खोल दो, कोई पूछने भी नहीं आएगा....!!!! "तू अचानक मिल गई तो कैसे पहचानुंगा मैं, ऐ खुशी.. तू अपनी एक तस्वीर भेज दे....!!!! इसी लिए तो बच्चों पे नूर सा बरसता है, शरारतें करते हैं, साजिशें तो नहीं करते....!!!! महँगी से महँगी घड़ी पहन कर देख ली, वक़्त फिर भी मेरे हिसाब से कभी ना चला ...!! युं ही हम दिल को साफ़ रखा करते थे .. पता नही था की, 'किमत चेहरों की होती है!! दो बातें इंसान को अपनों से दूर

tera naam likha lenge...

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Iss dil par tera hi naam likha lenge... tere hi khwaab aaye, yadon me aise basa lenge... agar mil na sako to tasveer bhej dena... ham teri tashveer se hi kaam chala lenge....

ek lachaar hu....!

chaman se ek bichhra hua gulaab hu... mai khud apni tabaahi ka jabaab hu... yuu nigahen na pherna mujhse..? dard ke bajar me bikta hua ek lachaar hu....!

तेरे हुस्न का हर कोई दीवाना है ,

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तेरे हुस्न का हर कोई दीवाना है , तेरी हर अदा बड़ी कातिलाना है। कागज कलम कम पड़ जाते हैं लिखने को , ऐ सनम! तेरा चेहरा इतना शायराना है।

ये मंज़र क्यों है...

तेरी इस दुनिया में ये मंज़र क्यों है, कहीं ज़ख्म तो कहीं पीठ में खंजर क्यों है.. सुना है तू हर ज़र्रे में है रहता, फिर ज़मीं पर कहीं मस्जिद तो कहीं मंदिर क्यों है.. जब रहने वाले दुनियां के हर बन्दे तेरे हैं, फिर कोई किसी का दोस्त तो कोई दुश्मन क्यों है.. तू ही लिखता है हर किसी का मुक़द्दर, फिर कोई बदनसीब तो कोई मुक़द्दर का सिक्कंदर क्यों है!!

दिल की वही तन्हाई....

कितने अंदाज से किया उसने नज़र अंदाज, ए खुदा उसके इस अंदाज को नज़र ना लगे हुस्न वालों ने क्या कभी की ख़ता कुछ भी ? ये तो हम हैं सारे इलज़ाम लिये फिरते हैं। सुबकती रही रात अकेली तनहाइयों के आगोश़ में, और वो काफिऱ दिन से मोहब्बत कर के उसका हो गया। सौ बार चमन महका, सौ बार बहार आई, दुनिया की वही रौनक, दिल की वही तन्हाई।

रुख ही मोड़ दिया ..

सोच तो लिया था काट लेंगें जिंदगी तन्हाई में मगर तेरी एक याद ने सारा गुरूर तोड़ दिया हम चले जा रह थे जिस रस्ते पर एक दिन उस रस्ते का रुख ही मोड़ दिया 

हम....

जो कोई समझ न सके वो बात हैं हम, जो ढल के नयी सुबह लाये वो रात हैं हम, छोड़ देते हैं लोग रिश्ते बनाकर, जो कभी न छूटे वो साथ हैं हम

भर गया है दिल...

अब वफा से मुकर गया है दिल अब मोहब्बत से डर गया है दिल अब सहारों की बात मत करना अब तो दिलासों से ही भर गया है दिल

इश्क़ सब के बस की बात नही.....!!!!!

वो करते हैं बात इश्क़ की, पर इश्क़ के दर्द का उन्हें एहसास नहीं...!! इश्क़ वो चाँद है जो दिखता तो है सबको, पर उसे पाना सब के बस की बात नही.....!!!!!

आख़िर कब तक.....

एक महीने के वादे पर साल गुज़ारा फिर भी ना आये वादे का ये एक महीना, कब तक आख़िर, आख़िर कब तक सामने दुनिया भर के ग़म हैं और इधर इक तन्हा हम हैं सैकड़ों पत्थर, इक आईना, कब तक आख़िर, आख़िर कब तक

आप जैसा दोस्त....

हर मोड़ पर मुकाम नहीं होता. दिल के रिश्तों का कोई नाम नहीं होता. चिरागों की रोशनी से ढूँढा है आपको. आप जैसा दोस्त मिलना आसान नहीं होता.

क्या पाया मैंने दिल हार कर ....

सरल विरल  सी अभिलाषा मन में  लिय एक जिज्ञाषा सो न सका मैं रात भर यह विचार कर क्या पाया मैंने दिल हार कर प्यार खोने का नाम है या पाने का ? खोने का ? तो जो रातों की नींद  मैंने खोई थी ख़्वाबों की फसल जो मैंने बोई थी करके हवाले उसे जब किसी गैर के   चल जो दिए किनारे किनारे नहर के क्या उससे प्यार में मेरी वो जीत थी हाँ, तभी तो वो मुझसे भयभीत थी  प्यार में,  हारने वाला सब कुछ लूट  कर ले जाता फिर भी वो एक बार भी  कहाँ मुस्कराता है मैं तो मुस्करा रहा हूँ सब कुछ हार कर हाँ मगर बैठा हूँ तमन्नाओं को मारकर तमन्नाएँ  शजर की जड़ें  होती हैं दिल की जमीं  से खुशियों का पानी सोखती  हैं  मेरा तन जर्जर कर दिया है अभिलाषाओ  ने आत्मा को तोड़ दिया है निराशाओं ने आज मुझ में फिर एक उम्मीद जगी है गम न अब और न करो दुनियां का, कौनसी  यह अपनी सगी है   

आसान है #ज़िन्दगी

देखो तो ख्वाब है ज़िन्दगी, पढ़ो तो किताब है ज़िन्दगी, सुनो तो ज्ञान है ज़िन्दगी, पर हमें लगता है कि हँसते रहो तो आसान है #ज़िन्दगी**

दर्द छुपा होता है

हर दिल में दर्द छुपा होता है बयाँ करने का अंदाज़ जुदा होता है कोई अश्कों से बहा देता है और किसी की हंसी में भी दर्द छुपा होता है

#पिता_क्या_है\))

#पिता_क्या_है\)) पिता एक उम्मीद है, एक आस है परिवार की हिम्मत और विश्वास है, बाहर से सख्त अंदर से नर्म है उसके दिल में दफन कई मर्म हैं। पिता संघर्ष की आंधियों में हौसलों की दीवार है परेशानियों से लड़ने को दो धारी तलवार है, बचपन में खुश करने वाला खिलौना है नींद लगे तो पेट पर सुलाने वाला बिछौना है। पिता जिम्मेवारियों से लदी गाड़ी का सारथी है सबको बराबर का हक़ दिलाता यही एक महारथी है, सपनों को पूरा करने में लगने वाली जान है इसी से तो माँ और बच्चों की पहचान है। पिता ज़मीर है पिता जागीर है जिसके पास ये है वह सबसे अमीर है, कहने को सब ऊपर वाला देता है, पर खुदा का ही एक रूप पिता का शरीर है।

Tujhko Sochun To Khyalaat Se Khushboo Aaye,

Teri Hasti Se Teri Zaat Se Khushboo Aaye, Tu Jo Bole To Teri Baat Se Khushboo Aaye, Tujhko Dekhun To Meri Aankh Mehak Si Jaye, Tujhko Sochun To Khyalaat Se Khushboo Aaye, Tu Chameli Hai, Nargis Hai, Ya Raat Ki Rani, Tujhko Chhu Lun To Mere Haath Se Khushboo Aaye.

अगर तुम मिलने आ जाओ...

तमन्ना फ़िर मचल जाये.. अगर तुम मिलने आ जाओ.. यह मौसम ही बदल जाये.. अगर तुम मिलने आ जाओ.. मुझे गम है.. कि मैने ज़िन्दगी मे कुछ नहीं पाया.. यह गम दिल से निकल जाये.. अगर तुम मिलने आ जाओ

जब तुमने ज़ुल्फ़ों को सँवारा है

नशीली रात में जब तुमने ज़ुल्फ़ों को सँवारा है हमारे जज़्बा–ए–दिल को उमंगो ने उभारा है गुलों को मिल गयी रंगत तुम्हारे सुर्ख़ गालों से सितारों ने चमक पाई तबस्सुम के उजालों से तुम्हारी मुस्कुराहट ने बहारों को निखारा है लब–ए–रंगीं अरे तौबा गुलाबी कर दिया मौसम तुम्हारी शोख़ नज़रों ने शराबी कर दिया मौसम नशे में चूर है आलम नशीला हर नज़ारा है

हमे अच्छे से जानते है।

ना अल्फाजो को समझते है, ना खामोशी को... ना दर्द को समझते है , ना उदासी को... फिर भी वो कहते है की वो? हमे अच्छे से जानते है।