Dil se..>>



गर्मिये हसरत-ए-नाकाम से जल जाते हैं;

हम चिरागों की तरह शाम से जल जाते हैं;


शमा जलती है जिस आग में नुमाइश के लिए;

हम उसी आग में गुमनाम से जल जाते हैं;

जब भी आता है तेरा नाम मेरे नाम के साथ;

जाने क्यों लोग मेरे नाम से जल जाते हैं।//

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