समय रुकता नहीं,**



मेरी ज्योति मन्द पड़ गई समय की सौगत
उम्मीदे कर्पुर बन कर उड़ गई खुसबू बिखर
बालों में सफेदी झलकने लग गई उम्र के साथ
समझ नहीं पाया क्यों रहा मैं अब तक बेखबर
न तो सरगोशियाँ और न ही अपने किये से सर्द
डर है कि आगे सन्नाटे का साम्राज्य लेगा असर
मुझे मौत का कोफ़्त नहीं, गुमनामी का है दर्द
कोई गिला नहीं,वेवजह इल्जाम नहीं किसी पर
मेरे पास जो बचा वक़्त, हल निकलना होगा जल्द
समय रुकता नहीं,दफ़न करने वाले हो रहे हैं तैयार

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