अपने गांव का मंज़र जब भी याद आता है ,



अपने गांव का मंज़र जब भी याद आता है ,
मेरी खुश्क आँखों को देर तक रुलाता है।। जरूरत का सब ये खेल है वरना
अपने बाल बच्चो से दूर कौन जाता है।

अपने गांव का मंज़र जब भी याद आता है ,
मेरी खुश्क आँखों को देर तक रुलाता है।।

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