Dil se

Hath pakdkar rook lete agar tujhpr jra bhi joor
hota mera, naa rote hum you tere liye agar
humari zindagi me tere siva koi aur hota ...
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सोचा था आज तेरे सिवा कुछ
और सोचुँ ........
अभी तक इस सोच में हुँ कि और
क्या सोचुँ ...
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कभी मिलते हो तुम ख़्वाबों में,
कभी मिलते हो तुम यादों में।
सपना बनकर क्यों रहते हो,
दिलबर मेरी इन आँखों में।
हर वक्त मेरे नजदीक रहो,
कुछ मेरी सुनो कुछ अपनी कहो।
तेरी यादों की जो खुशबू है,
मेरी साँसों को महकाने लगी है।
तेरी याद बहुत अब आने लगी है,
एक जान है अब वो जाने लगी है।
तन्हा तन्हा हम रहने लगे हैं,
तन्हाई बड़ा तड़पाने लगी है।
उफ्फ तौबा तौबा ये दर्द-ए-मोहब्बत
और ये ज़ालिम तन्हाई...
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अब क्या लिखे हम कागज़ पर,
अब लिखने को क्या बाकी है,
एक दिल था वो टूट गया ,
अब टूटने को क्या बाकी है ?
एक शख्स को हमने चाहा था ,
एक रेत पर नक्श बनाया था ,
वो रेत तो कब की बिखर गयी,
वो नक्श कहाँ अब बाकी है,
लफ्जों को बनाकर ताजमहल ,
कागज़ पर सजाया करते थे ,
वो हमको अकेला छोड़ गये ,
सब रिश्तो से मुंह मोड़ गये,
अब रास्ते सारे सूने है .....,
वो प्यार कहाँ अब बाकी है ,
अब क्या लिखे अब कागज़ पर,
अब लिखने को क्या बाकी है ...!!..
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Badal gaya hai usi ka imaan kabhi jo mera
khuda raha tha
Wo ek din ek ajnabi ko meri kahaani suna raha
tha
Wo kam kar raha tha umr meri mai saal
Apne badha raha tha
Wo khat k purje udaa raha tha hawayon ka
rukh bata raha tha...

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