Khatti+mithi
Gaurav kumar:
क्यों मरते हो बेवफा सनम के लिए….
एक कद जगह भी नहीं मिलेंगे दफ़न के लिए…
मरना है तो हिन्द ये वतन के लिए मरो
हसीना भी दुपट्टा उतार देगी तुम्हारे कफ़न के लिए …..
Gaurav kumar:
उनका भी कभी हम दीदार करते है
उनसे भी कभी हम प्यार करते है
क्या करे जो उनको हमारी जरुरत न थी
पर फिर भी हम उनका इंतज़ार करते है !
Gaurav kumar:
पेन्सिल-रबर भी तोड़ कर तुझसे बांटे हैं ऐ दोस्त...
अब थोड़ा-सा वक़्त बांटना भी तुझे फिजूल लगता है...!!!
Gaurav kumar:
टूटे हुए प्याले में जाम नहीं आता
इश्क़ में मरीज को आराम नहीं आता
ये बेवफा दिल तोड़ने से पहले ये सोच तो लिया होता
के टुटा हुआ दिल किसी के काम नहीं आता ……..
Gaurav kumar:
वो कहते हैं शराब धीरे-धीरे जान लेती है। वैसे फर्क किसे पड़ता है, मरने की जल्दी भी किसे है।
Gaurav kumar: किसी की पूरी तो...किसी की अधूरी...
पर सब की कोइना कोई कहानी जरुर होती है ...
Gaurav kumar:
तूँ उनके वादे का जिक्र उनसे ना कर ग़ालिब ,
यह क्या,कि तुम कहो,और वो कहेँ , कि याद नहीँ
Gaurav kumar:
मौत से इसलिए भी डरता हूँ कि उस ऊपरवाले को क्या मुँह दिखाऊंगा....!! क्योकि यहाँ मैँने खुदा किसी और को माना था....!!
Gaurav kumar:
"झुठी शान के परिंदे ही ज्यादा फड़फड़ाते हैं ,,
तरक्की के बाज़ की उडान में कभी आवाज़ नहीं होती ।"
Gaurav kumar:
तु खुद उलझ जाओगे मुझे गम देने की चाहत में,
मुझमें हौसला बहूत है मुस्कुराकर निकल जाऊगा.
Gaurav kumar:
लगता है खुदा का बुलावा आने वाला है,, आज कल मेरी झूठी कसम खा रही है वो पगली.
Gaurav kumar:
ना जाने क्यों रेत की तरह निकल जाते है हाथों से ‘वो लोग ‘ ,जिन्हें जिन्दगी समझ कर हम कभी खोना नही चाहते .
Gaurav kumar:
पहली मुलाकात थी और हम दोनो बेबस,
वो 'जुल्फे' संभालते रहे और हम 'खुद' को..!
Gaurav kumar:
मुक्कमल सी लगती है मेरी शायरी.........
लफ्ज़ जब सारे मेरे होते हैं, और ज़िक्र उनका ......
Gaurav kumar:
अजब अपना हाल होता जो विसाल-ए-यार होता ....
कभी जान सदक़े होती कभी दिल निसार होता
Gaurav kumar:
कोई छुपाता है, कोई बताता है;
कोई रुलाता है, तो कोई हंसाता है;
प्यार तो हर किसी को ही किसी न किसी से हो जाता है;
फर्क तो इतना है कि कोई अजमाता है और कोई निभाता है!
Gaurav kumar:
जनाजे को ले जाते वक्त ये ना सोचो...
के तुम उसे उसकी मंजिल तक
पहुँचा रहे हो ..
हकीकत मे वो जनाजा तुम्हे तुम्हारी मंजिल बता रहा है..
Gaurav kumar:
तुम शराफत कहां बाजार मे ले आए हो,
ये वो सिक्का है, जो बरसो से नहीं चलता है.
Gaurav kumar:
"ख़ुशी एक ऐसा एहसास है,
जिसकी हर किसी को तलाश है,
ग़म एक ऐसा अनुभव है,
जो सबके पास है,
मगर ज़िन्दगी तो वही जीता है,
जिसको खुद पर विश्वास है...
Gaurav kumar:
kya jrurat thi mohbbat ko mohbbat ki trah krne ki..
hm bhi Rasm-e-smaaj nibha lete .
Gaurav kumar:
har एक नज़र उसकी एक कत्लगाह थी..
उसका यही गुनाह था, वो बेगुनाह थी ।।
वो चाहती थी रुह उसे शौप दे मगर,
उस आदमीं की बस बदन पर निगाह थी
Gaurav kumar:
सोचा था मय है जिन्दगी और जिन्दगी की मै...
प्याला हटा के तेरी हथेली से पिएगे...
वो खवाहिशे अजीब थी सपने अजीब थे...
तुमसे मिला था प्यार अच्छे नसीब थै ...!
Gaurav kumar:
आज उसने मूझसे पूछा
कयामत का मतलब...
मैँने भी कह दिया => तेरा रूठ जाना
Gaurav kumar:
बेहद हदें पार कि थी, हमने कभी किसी के लिए,
आज उन्हीं ने सिखा दिया है हमें "हद" में रहना..
Gaurav kumar:
आइना देखा जब, तो खुद को तसल्ली हुई…
ख़ुदग़र्ज़ी के ज़माने में भी कोई तो जानता है हमें…
Gaurav kumar:
कुछ लोग इतने गरीब होते हैं
. . . . . कि . . . . .
उनके पास सिर्फ पैसे ही होते हैं।"🏻
Gaurav kumar:
वाह..!!
कुछ युँ भी गरीबी अब दिखनी लगी है..
अमीर अब माँ के हाथों का खाना नसीब नही करते..
Gaurav kumar:
तुझे पाने की हसरत कब तक तड़पाता रहुगा ...
कोई एसा धोखा दे की मेरी आस टुट जाए...
Gaurav kumar:
ये इश्क़ का मुकदमा बड़ा ही पेचीदा,
जीते तो उम्र कैद,हारे तो सजाए मौत...
Gaurav kumar:
मसला ये भी है इस ज़ालिम दुनियाँ का,,,,
कोई अगर अच्छा भी है तो वो अच्छा क्य़ूँ है..?
Gaurav kumar:
एक राज की बात बताये किसी को बताना नही ..
इस दुनिया मे अपने सिवा कुछ भी अपना नही होता. ..
Gaurav kumar: ऐ सनम.......
इतना ना याद आया करो कि रात भर सो ना संकू.....
दोपहर को जब आंख खुलती है तो घर वाले नाश्ता नहीं देते
Gaurav kumar:
बदल जाती है ज़िन्दगी की सच्चाई उस वक्त,
जब कोई हमारा ही हमारे सामने हमारा नहीं रहता
Gaurav kumar:
मुश्किले केवल बेहतरीन लोगों
के हिस्से में ही आती हैं...!!
क्यूंकि वो लोग ही उसे बेहतरीन
तरीके से अंजाम देने की ताकत
रखते हैं..!!
Gaurav Kumar:
"रख हौंसला वो मंज़र भी आयेगा;
प्यासे के पास चलकर समंदर भी आयेगा..!
थक कर ना बैठ ए मंजिल के
मुसाफ़िर;
मंजिल भी मिलेगी और
जीने का मजा भी आयेगा...!!
Gaurav kumar:
जिंदगी की सीढ़ीयाँ खत्म ही नही होती
बस हिम्मत रखो और चढ़ते जाओ
मंज़िल खुद आ जायेगी
Gaurav kumar:
दिल मजबूर कर रहा है ,, उनसे बात करने को ..!!
और कम्बखत ज़िद करता है की ,, शुरुआत वो करे ..!!
Gaurav kumar:
"खुद को मेरे दिल मे ही छोड़ गये हो....
तुम्हे तो ठीक से बिछड़ना भी नही आ
Gaurav kumar:
तुम्हारी नाराजगी
बहुत वाजिब है !!
मै भी खुद से खुश नहीं हूँ.. !!
Gaurav kumar:
मयखाने में केसे बुजती प्यास मेरी , इन होठों को तलब तो तेरे होठों की थी ।
Gaurav kumar:
ना मांगी दुआ , ना कोई गुज़ारिश की,ना कोई फ़रियाद , ना कोई नुमाइश की..जब भी झुका सर सजदे में खुदा के ,बस आपकी ख़ुशी की ख्वाइश की....
Gaurav kumar:
इंसान की असल मौत उस वक़्त होती है..
"जब वो मोहब्बत करने वाले के "दिल और दुआओ" से निकल जाता है..
Gaurav kumar:
क़िताबों की तरह हैं हम..!!
अल्फाज़ से भरपूर,
मगर फिर भी ख़ामोश..!!
Gaurav kumar:
गलती उसी इंसान से होती है
जो काम करता है.
काम न करने वाले सिर्फ गलती
ढूंढते है.
Gaurav kumar:
बंद पिंजरौ मे पंछीयो को देखा ह कभी...।
यूँ ही तडपते है मोहब्बत के मुजरिम अकसर...।
Gaurav kumar:
"भगवान" से कुछ मांगना ही है तो
हमेशा अपनी माँ के सपने पूरे
होने की दुआ माँगना
तुम खुद ब खुद आसमान की ऊंचाइया छु लोगे ।।
Gaurav kumar:
मैंने हर दर्द में इंसान को ही मरते देखा है,..
कम्बख्त इश्क़ तुझे मौत क्यों नहीं आती।।
Gaurav kumar:
मेरे दोस्त भी बडे कमीने है
निकल रहे थे मेरा जनाजा लेकर जब उसका घर आया तो सीटी बजाने लगे
Gaurav kumar:
दिल के टूटने पर भी हँसना,
शायद "जिन्दादिली" इसी को कहते हैं।
ठोकर लगने पर भी मंजिल के लिए भटकना,
शायद "तलाश" इसी को कहते हैं।
सूने खंडहर में भी बिना तेल के दिये जलाना,
शायद "उम्मीद" इसी को कहते हैं।
टूट कर चाहने पर भी उसे न पा सकना,
शायद "चाहत" इसी को कहते हैं।
गिरकर भी फिर से खड़े हो जाना,
शायद "हिम्मत" इसी को कहते हैं।
उम्मीद, तलाश, चाहत, हिम्मत,
शायद "जिन्दगी" इसी को कहते हैं
Gaurav kumar:
🏻किसी को अपना बनाने के लिये हमारी सारी खूबियाँ भी कम पड़ जाती हैं जबकि किसी को खोने के लिए एक कमी ही काफी हैं !
Gaurav kumar: अपने रिश्तों और पैसों की कद्र एक सामान करें,
क्योंकि दोनों कमाने मुश्किल हैं लेकिन गंवाने आसान।
Gaurav kumar: उसकी मोहब्बत पे मेरा हक तो नही, लेकिन दिल करता है की उम्र भर उसका इंतजार करू !!
Gaurav kumar:
अब इस से भी बढ़कर गुनाह-ए-आशिकी क्या होगा,
जब रिहाई का वक्त आया..तो पिंजरे से मोहब्बत हो चुकी थी।
Gaurav kumar:
गम हूँ , दर्द हूँ , साज हूँ या आवाज हूँ.
बस जो भी हूँ मैं तुम बिन बहुत उदास हूँ.
Gaurav kumar:
achchhi सूरत को सवरने की जरुरत क्या हैं।
सादगी भी तो क़यामत की अदा
होती हैं।
Gaurav kumar:
कौन चाहता है.. खुद को बदलना....
किसी को प्यार.. तो किसी को नफरत बदल देती है....
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