Poems

Gaurav kumar:
आवारा मौसम हुए, हुआ बसन्त उदास।
उपवन में कैसे बुझे, भँवरों की अब प्यास।।
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लीची आँधी में झड़ी, दहके नहीं पलाश।
गर्मी में तरबूज में, आयी नहीं मिठास।।
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सकते में हैं लोग सब, कैसे सुधरें हाल।
भूकम्पों की मार से, सिसक रहा नेपाल।।
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कंकरीट के महल की, दहल रही दहलीज।
वैसी फसलें उग रहीं, बोये जैसे बीज।।
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बदले जीवन ढंग हैं, बदले रस्म-रिवाज।
ओढ़ सभ्यता पश्चिमी, हुआ असभ्य समाज।।
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बचा हुआ है आज भी, रिश्तों का संसार।
माताओं की लोरियाँ, बहनों का वो प्यार।।
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नकली अब मुस्कान है, नकली हैं उपहार।
फिर कैसे मिल पायेगा, नैसर्गिक शृंगार।

Gaurav kumar‬:
आहिस्ता  चल  जिंदगी,अभी
कई  कर्ज  चुकाना  बाकी  है
कुछ  दर्द  मिटाना   बाकी  है
कुछ   फर्ज निभाना  बाकी है
                   रफ़्तार  में तेरे  चलने से
                   कुछ रूठ गए कुछ छूट गए
                   रूठों को मनाना बाकी है
                   रोतों को हँसाना बाकी है
कुछ रिश्ते बनकर ,टूट गए
कुछ जुड़ते -जुड़ते छूट गए
उन टूटे -छूटे रिश्तों के
जख्मों को मिटाना बाकी है
                    कुछ हसरतें अभी  अधूरी हैं
                    कुछ काम भी और जरूरी हैं
                    जीवन की उलझ  पहेली को
                    पूरा  सुलझाना  बाकी     है
जब साँसों को थम जाना है
फिर क्या खोना ,क्या पाना है
पर मन के जिद्दी बच्चे को
यह   बात   बताना  बाकी  है
                     आहिस्ता चल जिंदगी ,अभी
                     कई कर्ज चुकाना बाकी    है
                     कुछ दर्द मिटाना   बाकी   है  
                     कुछ  फर्ज निभाना बाकी है !

Gaurav kumar‬:
WoH  bhi  kya  din  the

" MUMMY "  Ki  Godh  Aur

" PAPA "  Ke  Kandhe,,,,,,,,

Na  Paise  Ki   Soch

Na   Life  Ke   Funde,,,,,,

Na  KaL  Ki  Chinta

Na  Future  Ke  Sapne,,,,,,

Ab  KaL  Ki  HaiN  Fikar  Aur

Adhure  HaiN  Sapne,,,,,,

MudH  Kar  Dekha  Toh  Bahut

Door  HaiN  Apne,,,,,,,

Manzilo  ko  dhundte  kaha

kho  Gaye  Hum,

Aakhir,  Itne  bade  kyun  Ho

Gaye  Hum,,,,,,,,,!!
💗💗💗💗💗💗💗

Gaurav Kumar‬:
तुझे मेरी याद नहीं आती

....... तो... ना आए,

बस मुझे तेरी याद आती है

ये तुझे........... पता चल जाए…🌹

Comments

  1. गौरव जी ...
    क्या यह आपकी कविता है...

    आहिस्ता चल जिंदगी,अभी
    कई कर्ज चुकाना बाकी है
    कुछ दर्द मिटाना बाकी है
    कुछ फर्ज निभाना बाकी है

    laxmirangam@gmail.com

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