Dard bhare shayri

Gaurav kumar:
मेरी शायरी में आज भी उसी का जिक्र होता है...
बस फर्क इतना है, कि पहले मैं उसे देख कर किस्से
लिखता था, आज वो खुद एक किस्सा है मेरी
शायरी का॥

Gaurav kumar:
उन लोगों का क्या हुआ होगा;
जिनको मेरी तरह ग़म ने मारा होगा;
किनारे पर खड़े लोग क्या जाने;
डूबने वाले ने किस-किस को पुकारा होगा।

Gaurav kumar:
कुछ तो शराफत सीख ले ऐ मोहब्बत...शराब से
"बोतल पे कम से कम लिखा तो है कि "मै
जानलेवा हूँ "

Gaurav kumar:
“हादसोँ के गवाह हम भी हैँ...अपने दिल से तबाह
हम भी हैँ...
जुर्म के बिना सजा ए मौत मिली...ऐसे
ही एक बेगुनाह हम भी हैँ....

Gaurav kumar:
सनम तेरी नफरत मैँ वो दम
नही जो मेरी चाहत को मिटा दे....!!!
ये मोहब्बत है कोई खेल नही जो आज हँस के
खेला और कल रो के भुला दे....!!!

Gaurav kumar:
तुम्हारी मुहब्बत के निशां आज भी
बाकी हैं
कि
आज भी सोता नहीं हूँ मैं
सूखी पलके लेकर ।।

Gaurav kumar:
कदम रुक से गये हैं फूल बिकते देख कर
वो अक्सर कहा करता था मुहब्बत फूल जैसी ह

Gaurav kumar:
Hakikat mahobbat ki judai hoti hai, Kabhi kabhi pyar men bewafai hoti hai, Hamare taraf hath badha kar to dekho, Pata chalega k dosti men kitani sacchai hoti hai.

Gaurav kumar:
प्यार की फितरत भी अजीब
है यारा
बस जो रुलाता है,उसी के गले लग कर,रोने
को दिलचाहता है ..

Gaurav kumar:
काश! कि वो लौट आयें मुझसे यह
कहने, कि तुम कौन होते हो मुझसे
बिछड़ने वाल

Gaurav kumar:
इन्तहा तो देखो बेवफाई की,
परीक्षा में निबन्ध आए बेवफाई पर,
बस एक नाम तेरा लिखा और हम टॉप कर
गए...!!!

Gaurav kumar:
दाद देते है तुम्हारे नजरंदाज करने
के हुनर को..
जिसने भी सिखाया , उस्ताद कमाल
के थे..

Gaurav kumar:
जिस जिस को मिली खबर सबने एक ही
सवाल किया...
तुमने क्यों की मुहब्बत तुम तो
समझदार थे...

Gaurav kumar:
जब भी देखता हुं हसते खिलखिलाते
चेह्ररे लोगो के„ दुआ करता हु इन्हे
कभी मोहब्बत ना हो…

Gaurav kumar:
Tujhe paane ki iss liye zidd nahi karte,
Kyu ki tujhe khone ko dil nahi karta,
Tu milta hai to isliye nazre nahi uthate
Ke phir nazre hataane ko dil nahi karta,
Khwabon mein isliye tujhko nahi sajate
Ke phir neend se jaagne ko dil nhi karta.

Gaurav kumar:
तुम किसी और से इश्क कर लो,
हमें अमीर होने में ज़रा वक़्त लगेगा...

Gaurav kumar:
खामोश हूँ मै इतना इसलिये.....
क्योकि उन्होंने कहा हैं कि मेरे लिखने से
उनकी बदनामी होती हैं....

Gaurav kumar:
इस कदर चैन है की बेचैन होते रहे
हम सोच में यही दिन रैन खोते रहे
मालूम है मुझे यहाँ बारिश नहीं होती
फिर भी हम ख्वाबों के बीज बोते रहे
पहन न सके जीत का हार अब तक हम
बस वक़्त की डोर में आस के मोती पिरोते रहे
दिखाई दिया हर तरफ सूखा हर ओर पतझड़
महसूस करने सावन अपनी पलकें भिगोते रहे
हर वक़्त बिछाते रहे फूल औरों की राहों में
खुद बेवजह यूँ ही चिंगारियों पे सोते रह..

Gaurav kumar:
खामोश बैठे हैं तो लोग कहते हैं उदासी अच्छी नहीं;
और ज़रा सा हंस लें तो लोग मुस्कुराने की वजह पूछ
लेते है।

Gaurav kumar:
थोडा उत्सुक हूँ ,थोडा डर रहा हूँ ।
तेरे आने का इंतजार कर रहा हूँ ।
उछाल कर के सिक्का ख्वाबों का ।
मैं अपनी किस्मत को पढ रहा हूँ ।

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