Bewafa shayri
Gaurav kumar:
हम नही सीख पा रहे हैं...ये तेरे शहर का
रिवाज..
जिससे काम निकल जाए उसे ज़िंदगी से
निकाल दो..!!
Gaurav kumar:
कितनी अजीब है मेरे अन्दर की तन्हाई भी,
हजारो अपने है मगर याद तुम ही आते हो,,
Gaurav kumar:
तू होश में थी फिर भी हमें पहचान न पायी..,
एक हम है कि पी कर भी तेरा नाम लेते रहे…
Gaurav kumar:
काँटो से कभी दिल लगा के तो देखो,,
पत्थर को कभी पिघला के तो देखो,,
खुद को अगर दौलत मन्द समझते हो तो,,
एक बुँद आँशु कि किमत लगाके तो देखो,,
Gaurav Kumar:
तुम से नफ़रत बहुत जरुरी थी,
ये ना करते तो
फ़िर प्यार हो जाता!!!!!!!
Gaurav kumar:
ना पूछ मेरे सब्र की इंतहा कहाँ तक है;
तू सितम कर ले, तेरी हसरत जहाँ तक है;
वफ़ा की उम्मीद, जिन्हें होगी उन्हें होगी;
हमें तो देखना है, तू बेवफ़ा कहाँ तक है।
nice....
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